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07 अगस्त 2008

महंगाई के जाल ने और जकड़ा

नई दिल्ली : महंगाई ने मिडल क्लास के किचन को फिर जोर का झटका दिया है। दस दिन के अंदर दालों की कीमतों ने नई छलांग लगा डाली, जबकि चीनी और आटे में महीने भर के अंदर उछाल आ गया। नमक भी एक रुपये किलो महंगा हो गया है। रिटेल में बिकने वाली दालों में सबसे ज्यादा दाम मसूर की लाल दाल के बढ़े हैं। दस दिन में इसकी कीमत 45 रुपये से बढ़कर 54 रुपये प्रति किलो हो गई। अरहर की दाल भी 40 रुपये से बढ़कर 48 रुपये हो गई। 17 रुपये प्रति किलो में बिक रही चीनी अब 21 रुपये किलो बिक रही है। इसका असर असर मिठाई और बिस्कुट इंडस्ट्रीज पर भी पड़ा है।

चीनी की कीमतें बढ़ने के बारे में जानकारों का कहना है कि पिछले साल अगस्त से पहले सरकार ने 15 लाख टन चीनी का स्टॉक रिलीज किया था, लेकिन इस बार तीन दिन पहले ही केवल 9 लाख टन का स्टॉक छोड़ा गया है। इससे बाजार में चीनी की कमी होने लगी है। चीनी के दाम बढ़ने का कोई कारण समझ में नहीं आ रहा। गन्ने के सीजन में पूरी पेराई हुई और उत्पादन में कमी हुई नहीं। बफर स्टॉक भी ठीक है। पिछले साल तो चीनी का निर्यात भी किया गया था।

बेसन की कीमतें 40 रुपये से बढ़कर 45 रुपये किलो और धनिया की कीमत 90 रुपये से बढ़कर 120 रुपये प्रति किलो पहुंच चुकी हैं। 10 किलो वाले आटे के पैकिट की कीमतों में भी पांच से सात रुपये की बढ़ोतरी हुई है। महीने भर के अंदर ही डबलरोटी की कीमतों में दो बार बढ़ोतरी हुई है। कुछ दिनों पहले ब्रेड का जो पैकिट 10 रुपये का था वह अब 11 रुपये का, 17 रुपये वाला 18 रुपये का और 12 रुपये वाला 13 रुपये का हो गया है। उत्पादकों का कहना है कि यदि महंगाई इसी तरह बढ़ती रही तो उन्हें ब्रेड की कीमतें फिर बढ़ानी पड़ सकती हैं। ब्रिटैनिया इंडस्ट्रीज के वाइज प्रेजिडंट (सेल्स और मार्केटिंग) नीरज चंद्रा का कहना है कि ब्रेड बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली चीजों की कीमतें बढ़ी हैं इसीलिए कम समय में दोबारा दाम बढ़ाने पड़े। उन्होंने बताया कि यदि महंगाई इसी तरह बढ़ती रही तो उन्हें कीमतों की फिर समीक्षा करनी पड़ सकती है।..Navbharat Times

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