नई दिल्ली August 11, 2008
कच्चे तेल कीमत में गिरावट का सिलसिला जारी है और विश्लेषकों को उम्मीद है कि अगले महीने तक कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के नीचे चली जाएगी।
हालांकि कुछ हफ्ते पहले विश्लेषक कच्चे तेल के 200 डॉलर प्रति बैरल का स्तर छू जाने का अनुमान लगा रहे थे। विश्लेषकों का मानना है कि विश्वभर की अर्थव्यवस्थाओं को मंदी अपनी चपेट में ले रही है, इसकी मांग घट रही है और भू-राजनैतिक तनाव खत्म हो रहे हैं। ऐसे में सितंबर तक कच्चे तेल की कीमत वापस दोहरे अंकों में पहुंच सकती है।
गौरतलब है कि ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फर्म गोल्डमैन सैक्स ने अपने अनुमान में बताया था कि इस साल के आखिर तक कच्चा तेल 200 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच सकता है। पिछले दो महीने में कच्चे तेल की कीमत में भारी कमी आई है। 11 जून को कच्चा तेल 147 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गया था और पिछले हफ्ते के आखिरी कारोबारी सत्र में न्यू यॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज में यह 115 डॉलर प्रति बैरल तक आ गिरा।
जब कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी जारी थी, तब विश्लेषक अनुमान जाहिर कर रहे थे कि 200 डॉलर का स्तर दूर नहीं है और कहा गया था कि 150 डॉलर का स्तर तो अक्टूबर में ही छू जाएगा। जिंस ब्रोकरेज कंपनी कार्वी कॉमट्रेड के रिसर्च हेड जी. हरीश ने कहा - कच्चे तेल ने पिछले हफ्तों में काफी गिरावट हुई और वैश्विक मंदी के मद्देनजर मांग में जो गिरावट हो रही है उसे देखते हुए कच्चे तेल की कीमत सितंबर तक 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर जरूर पहुंच जाएगी।
हरीश ने कहा कि अमेरिका जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के लिए ब्याज दरें बढ़ा दी हैं और इससे मांग में कमी आने की संभावना है। यही स्थिति चीन और भारत में भी है। उन्होंने कहा कि अन्य मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में तेजी के कारण भी कीमतों पर असर हुआ है।
रेलिगेयर के कमोडिटी बिजनेस प्रमुख जयंत मांगलिक ने कहा - अगर मांग में तेजी से गिरावट होती है तो बहुत संभव है कि आने वाले कुछ हफ्ते में कच्चा तेल 100 डॉलर के स्तर पर आ जाएगा। कच्चा तेल अगर 100 डॉलर के नीचे आ जाता है तो इस साल कच्चे तेल में जितनी बढ़ोतरी हुई थी, वह खत्म हो जाएगी।....BS Hindi
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