14 अप्रैल 2009
अनुमानित उत्पादन घटने से मसूर में तेजी
स्टॉकिस्टों की खरीद और आयात महंगा होने से पिछले सवा महीने में मसूर की कीमतों में करीब 18 फीसदी की तेजी आ चुकी है। चालू सीजन में फसल के उत्पादन अनुमान में पहले की तुलना में कमी आने का अनुमान है। साथ ही उत्पादक मंडियों में पुराना स्टॉक लगभग समाप्त हो चुका है। इसलिए मसूर की तेजी को बल मिल रहा है। बहराइच स्थित मैसर्स साकेत फूडस लिमिटेड के डायरेक्टर अतुल अग्रवाल ने बिजनेस भास्कर को बताया कि पाईप लाइन खाली होने के कारण स्टॉकिस्टों और मिलर्स की मसूर में भारी खरीद बनी हुई है। जिससे भावों में तेजी बनी हुई है। पिछले एक महीने में ही उत्पादक मंडियों में करीब 600 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आकर कानपुर लाइन की मंडियों में भाव 3800 रुपये और बरेली मंडी में 3840 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। उन्होंने बताया कि पहले नई फसल के उत्पादन का अनुमान 12 लाख टन का था लेकिन प्रति हैक्टेयर पैदावार कम बैठने से अब उत्पादन का अनुमान घटकर दस लाख टन का है। हालांकि ये अनुमान पिछले साल के आठ लाख टन उत्पादन से ज्यादा है। उत्पादन अनुमान के मुकाबले घटने की आशंका और पुराना स्टॉक न होने के कारण स्टॉकिस्टों की खरीद में बढ़ोतरी होने से तेजी को बल मिला है।हालांकि ऊंचे भाव के कारण आम खरीददार अभी खरीद से परहेज कर रहा है। मसूर की बांग्लादेश और नेपाल में अच्छी खपत होती है। केंद्र सरकार ने दालों के निर्यात पर रोक लगा रखी है लेकिन नेपाल के रास्ते बांग्लादेश को सप्लाई होने की खबरों से भी इसकी तेजी को बल मिल रहा है। पिछले साल किसानों ने मसूर के काफी ऊंचे भाव देखे थे, जिसके कारण किसानों की बिकवाली भी कम आ रही है। उत्तर प्रदेश के झांसी, ललितपुर और कानपुर लाइन की मंडियों में मसूर की दैनिक आवक आठ से दस हजार बोरी की हो रही है। जलगांव के दलहन आयातक संतोष उपाध्याय ने बताया कि सरकारी एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष में अभी तक 15,000 टन मसूर के आस्ट्रेलिया और कनाडा से 821 से 1065 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) में सौदे किए हैं। (Business Bhaskar.......R S Rana)
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