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04 अप्रैल 2009

गेहूं, चावल के वायदा पर रोक जल्द हटने की उम्मीद

नई दिल्ली : कमोडिटी बाजार नियामक फॉरवर्ड मार्केट्स कमीशन (एफएमसी) ने उम्मीद जताई है कि सरकार चुनाव से पहले गेहूं और चावल के वायदा कारोबार पर लगी रोक हटा देगी। एफएमसी के चेयरमैन बी सी खटुआ ने कहा, 'गेहूं, चावल, तूर और उड़द के वायदा पर लगी रोक को आम चुनावों से पहले हटाने में कोई दिक्कत नहीं है। मुझे उम्मीद है कि कम से कम गेहूं और चावल के वायदा पर लगी रोक को तो चुनाव आयोग की मंजूरी लेकर हटा ही लिया जाएगा।' उन्होंने कहा कि एफएमसी ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के पास पहले ही गेहूं, चावल, तूर और उड़द के वायदा पर दो साल पहले लगी रोक को हटाने के बारे में विस्तृत रिपोर्ट जमा करा दी थी। 15 वीं लोकसभा के लिए पांच चरणों में होने वाले आम चुनावों के लिए मतदान का पहला चरण 16 अप्रैल को है। अंतिम चरण का मतदान 13 मई को होगा। चूंकि चुनावों के पूरे होने तक देश में आदर्श आचार संहिता लागू है ऐसे में सरकार कोई भी नीतिगत फैसला नहीं ले सकती है। कृषि कमोडिटी के वायदा पर लगी रोक को हटाने का मामला भी नीतिगत फैसले के तहत आता है। ऐसे में सरकार को इसे हटाने से पहले चुनाव आयोग से इस बारे में मंजूरी हासिल करनी होगी। रिपोर्ट के बारे में खटुआ ने कहा, 'गेहूं और चावल के वायदा पर लगी रोक को इन दोनों फसलों के उत्पादन और कीमतों को देखते हुए पहले उठाया जा सकता है।' उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में मुद्रास्फीति का कोई दबाव गेहूं और चावल पर नजर नहीं आ रहा है। इसके अलावा इन दोनों फसलों का उत्पादन काफी बेहतर रहने की उम्मीद भी है। तूर और उड़द के वायदा पर खटुआ ने कहा, 'इन दोनों कमोडिटी की सप्लाई अभी कम स्तर पर चल रही है।' उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के निर्देशों के चलते एफएमसी को साल 2007 की शुरुआत में चावल, गेहूं, तूर और उड़द के वायदा पर रोक लगानी पड़ी थी। आधिकारिक अनुमानों के मुताबिक, साल 2008-09 में चावल का उत्पादन बढ़कर 8.88 करोड़ टन हो जाने की उम्मीद है। (ET Hindi)

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