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04 अप्रैल 2009

टायर उद्योग को नहीं लुभा पाया सस्ता कृत्रिम रबर

कोच्चि 04 02, 2009
पिछले साल कच्चे तेल की कीमतें कम होने से कृत्रिम रबर की कीमतें काफी घट गई थीं।
ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) के नवीनतम खपत आंकड़ों के मुताबिक, सस्ता होने के बावजूद भारतीय टायर निर्माताओं ने प्राकृतिक रबर की तुलना में कृत्रिम रबर को ज्यादा तवज्जो नहीं दी।
इस आकलन से संकेत मिलता है कि कृत्रिम और प्राकृतिक रबर की खपत के अनुपात में मामूली तब्दीली हुई और यह प्राकृतिक रबर के पक्ष में रहा। वर्तमान वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में यह अनुपात 53:27 का रहा जबकि पिछले साल यह 72:28 का था।
कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट से कृत्रिम रबर के मूल्य में गिरावट का चलन शुरू हो गया था और उद्योग के लिए प्राकृतिक रबर की जगह कृत्रिम रबर का रुख करने का बेहतर अवसर था। रबर बोर्ड के अनुमानों के अनुसार अप्रैल से दिसंबर की अवधि में भारतीय रबर उद्योग के प्राकृतिक रबर की खपत में मामूली कमी आई और यह 2,22,860 टन से घट कर 2,20,000 टन हो गया।
एटीएमए के आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में टायर उद्योग ने जहां 3,79,481 टन प्रकृतिक रबर की खपत की वहीं 1,40,482 टन प्राकृतिक रबर की खपत हुई। साल 2007-08 के दौरान टायर निर्माण की श्रेणी में 1,91,505 टन प्राकृतिक रबर की खपत हुई जबकि प्राकृतिक रबर की खपत का आंकड़ा 4,95,577 टन का रहा।
यह आंकड़ा साफ तौर पर प्राकृतिक और कृत्रिम रबर की स्थिर खपत अनुपात को प्रदर्शित करता है। एटीएमए के सूत्रों के मुताबिक कृत्रिम और प्राकृतिक रबर की कीमतें ही एक के बदले दूसरे की खरीद का पैमाना निर्धारित नहीं करते हैं। इस रुझान के पीछे कुछ तकनीकी वजहें हैं। भारतीय उत्पादक तकनीकों में बदलाव होने की वजह से कृत्रिम रबर का रुख नहीं कर सकते हैं।
भारत में ट्रकों के टायर बनाने में प्राकृतिक रबर का इस्तेमाल प्रमुख रूप से किया जाता है जबकि कृत्रिम रबर का प्रयोग कारों के टायर बनाने में किया जाता है। इसलिए, कृत्रिम रबर और प्राकृतिक रबर की खपत के अनुपात में तब तक बदलाव नहीं आएगा जब तक कि कार के टायरों का अधिक उत्पादन नहीं होता।
कृत्रिम रबर के रुथानीय उत्पादन में साल 2008-09 के अप्रैल से दिसंबर के दौरान 8.7 प्रतिशत की गिरावट आई। इस अवधि में कुल उत्पादन 72,133 टन रहा जबकि पिछले साल की समान अवधि में 79,059 टन का उत्पादन हुआ था।
हालांकि, कृत्रिम रबर का आयात अप्रैल से दिसंबर की अवधि में बढ़ कर 1,54,300 हो गया जबकि साल 2007-08 के अप्रैल से दिसंबर की अवधि में यह 1,43,825 टन था। एटीएमए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्राकृतिक रबर और कृत्रिम रबर की खपत के अनुपात में ज्यादा बदलाव नहीं आएगा।
यद्यपि, प्राकृतिक रबर की कीमतों में पिछले कुछ सप्ताहों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। 60 रुपये प्रति किलो के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने के बाद इसकी कीमतों में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। कृत्रिम रबर की कीमतें भी हाल में 20 से 25 फीसदी में बढ़ी हैं।
अप्रैल से दिसंबर के दौरान आर्थिक मंदी का प्रभाव भी रबर उत्पादन पर पड़ा है। अप्रैल से दिसंबर की अवधि में प्राकृतिक रबर का उत्पादन 9 फीसदी बढ़ कर 6,76,005 टन हो गया जबकि खपत में मामूली 3 प्रतिशत की कमी हुई और यह 6,61,955 टन रही। मांग में कमी से रबर की खपत प्रभावित हुई। (BS Hindi)

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