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06 अप्रैल 2009

माल्ट उद्योग की मांग से जौ में तेजी के आसार

गर्मी बढ़ने के साथ ही माल्ट उद्योग की मांग निकलने से सुस्त पड़े जौ में तेजी आने के आसार बन गए हैं। मक्का, ज्वार, बाजरा और ग्वारसीड में तेजी से भी जौ में तेजी की धारणा को बल मिला है। यही वजह है कि पिछले सप्ताह के अंतिम कारोबारी सत्र शनिवार को दो-तीन फीसदी की तेजी से राजस्थान की मंडियों में नए जौ के भाव 700-735 से बढ़कर 750-790 रुपए क्विंटल हो गए हैं। इसी तरह पिछले सप्ताह एनसीडीईएक्स में अप्रैल वायदा जौ करीब ढाई फीसदी सुधरकर 4 अप्रेल को 887 और मई वायदा पांच फीसदी बढ़कर 916 रुपए क्विंटल हो गया। देश में इस साल जौ उत्पादन करीब 14.5 लाख टन होने का अनुमान है, जो कि पिछले वर्ष से ज्यादा है। पिछले वर्ष देश जौ का उत्पादन 12 लाख टन हुआ था। वैसे भी जौ की पैदावार राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और मध्यप्रदेश में ही की जाती है। इनमें अकेले राजस्थान की हिस्सेदारी करीब 75 फीसदी की है। देश में उत्पादित जौ की 70 फीसदी की खपत माल्ट और डिस्टलरीज उद्योग में ही हाती है, बाकी पशु आहार में आता है। खासतौर पर जौ को बीयर बनाने में काम लिया जाता है और इस साल गन्ने की पैदावार कम होने से मोलासिस की कमी से भी माल्ट उद्योग में जौ की मांग ज्यादा होने की संभावना है। इसलिए माल्ट उद्योग की मांग और निर्यात से ही जौ में तेजी-मंदी बनती है। जहां तक निर्यात की बात है पिछले वर्ष जून के बाद से जौ की निर्यात मांग काफी कमजोर रही है, क्योंकि भारत के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी उक्रेन और उज्बेकिस्तान में जौ सस्ता होने से पश्चिम एशिया के आयातक भारत का रुख नहीं कर रहे हैं। इस वजह से वित्त वर्ष 2008-09 की अंतिम तिमाही में जौ के भावों पर दबाव बना रहा। लेकिन गर्मी में बढोतरी के साथ घरलू माल्ट उद्योग की मांग और मक्का, बाजरा, ज्वार और ग्वारसीड के भावों में तेजी आने से पशुआहार के लिए मांग बढ़ने के कारण जौ की कीमतों में तेजी की संभावना दिखाई देने लगी है। यह देखते हुए राजस्थान के कारोबारी जौ के भाव एक हजार रुपए क्विंटल तक पहुंचने की संभावना व्यक्त कर रहे हैं।उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष मार्च में निर्यात मांग निकलने से नए जौ के भाव 935 से 940 रुपए क्विंटल के बीच पहुंच गए थे और अगस्त में जौ 1100 रुपए क्विंटल तक बिक गया था। लेकिन इसके बाद निर्यात मांग ठंडी पड़ने से जौ में तेजी नहीं बन पाई थी। इस वजह से नया जौ पिछले दिनों 600 रुपए क्विंटल तक बिक गया और कम भावों को देखते हुए अब स्टॉकिस्ट भी सक्रिय हो गए हैं, क्योंकि पिछले वर्ष की तुलना में इस समय जौ के भाव करीब 25 फीसदी कम है। इस समय राजस्थान में रोजना एक लाख बोरी नया जौ मंडियों में पहुंच रहा है। कृषि निदेशालय के अनुसार में रबी सीजन के दौरान राजस्थान में जौ उत्पादन 9.85 लाख टन तक पहुंचने का अनुमान था, लेकिन मार्च के दूसर पखवाड़े में उत्पादक इलाकों में बारिश और ओलावृष्टि के कारण फसल को नुकसान से अब उत्पादन अनुमान से कम बैठने की आशंका है। (Business Bhaskar)

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