नई दिल्ली 04 02, 2009
जिंस बाजार की नियामक संस्था वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने आज यह उम्मीद जताई कि चुनाव से पहले सरकार चावल और गेहूं के वायदा कारोबार पर से प्रतिबंध हटा सकती है।
एफएमसी के अध्यक्ष बी सी खटुआ का कहना है, 'लोकसभा चुनाव से पहले चावल, गेहूं, तूर और उड़द जैसी जिंसों पर से प्रतिबंध हटाने में कोई दिक्कत नहीं है। हालांकि मुझे उम्मीद है कि सरकार चावल और गेहूं के वायदा कारोबार पर से प्रतिबंध तो हटा सकती है लेकिन यह चुनाव आयोग पर निर्भर करता है।'
उनका कहना है कि वायदा बाजार आयोग ने पहले से ही उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के पास एक विस्तृत रिपोर्ट जमा की है और साथ ही में यह विस्तार से बताया है कि चावल, गेहूं, तूर और उड़द पर दो साल से लगाए गए प्रतिबंध को क्यों हटाया जाना चाहिए।
लोकसभा चुनाव पांच चरणों में होने वाला है और यह 16 अप्रैल से शुरू होने वाला है और यह 13 मई को खत्म होगा। चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता लागू कर दी है इसी वजह से कोई भी नीतिगत फैसला जिसमें कृषि वायदा से जुड़े प्रतिबंधों को हटाने की बात है, वह चुनाव आयोग की स्वीकृति पर ही निर्भर करता है।
खटुआ ने रिपोर्ट के बारे में बताया, 'चावल और गेहूं के वायदा पर से प्रतिबंध पहले हट सकता है क्योंकि इन दोनों फसलों का उत्पादन और मूल्य इस कारोबार के लिए बहुत बेहतर साबित हो रहा है।' उनका कहना है कि फिलहाल महंगाई का कोई दबाव नहीं है क्योंकि गेहूं और चावल की कीमतें बहुत कम हैं। इसके अलावा इन दोनों फसलों का उत्पादन ज्यादा रहने की उम्मीद जताई गई है।
तूर और उड़द के वायदा पर खटुआ का कहना है, 'देश में इन दो जिंसों की आपूर्ति की बहुत दिक्कतें हैं।' नियामक ने वर्ष 2007 के शुरुआत में ही उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के निर्देश पर चावल, गेहूं, तूर और उड़द के वायदा कारोबार पर से प्रतिबंध हटा लिया था ताकि खाद्य पदार्थ की कीमतों पर नियंत्रण रखा जाए।
अधिकारियों के एक अनुमान के मुताबिक पिछले साल के 9.66 करोड़ टन के मुकाबले वर्ष 2008-09 में चावल का उत्पादन 9.88 करोड़ टन होने की उम्मीद है। गेहूं का उत्पादन इस साल, पिछले साल के 7.85 करोड़ टन के स्तर के करीब ही रहने की उम्मीद है। पिछले साल जून में महंगाई दर दो अंकों तक पहुंच गई थी लेकिन इस बीच देश में महंगाई दर मार्च में एक फीसदी से भी नीचे चली गई। (BS Hindi)
04 अप्रैल 2009
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