मुंबई April 15, 2009
भारत की दूसरी सबसे बड़ी मूल धातुओं की उत्पादक, नैशनल एल्युमीनियम कंपनी (नाल्को) ने अपने खास ग्राहकों को छूट देने की घोषणा की है।
इसका प्रमुख उद्देश्य है कि बिक्री को बढ़ाया जाए और साथ ही बढ़ते हुए भंडारण को कम किया जा सके। कंपनी ने उत्पादन में किसी तरह की कटौती से बचने के उद्देश्य से भी ऐसे कदम उठाने की जरूरत महसूस की, जिससे मांग में तेजी आ सके।
कंपनी औसतन 5,000 टन औसत मासिक भंडारण करती है, जो इस समय बढ़कर 20,000 टन के आंकड़े को पार कर गया है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि पिछले माह की शुरुआत से ही धातुओं की मांग में कमी आई है।
मूल धातुओं की इस सरकारी मालिकाना वाली कंपनी के निदेशक (वित्त) बीएल बागरा ने कहा, 'यह छूट विभिन्न ग्राहकों और उनसे संबंधों पर निर्भर होगी और इस मामले में सहमति पत्र हम तैयार करेंगे।' बेंगलुरु की जिंदल एल्युमीनियम प्रमुख कंपनी है जो सरकार की इस धातु उत्पादक कंपनी से खरीदारी करती है।
कंपनी ने मार्च महीने में 36,000 टन मूल धातु की बिक्री की है, जिससे उसे भंडार को कम करने में मदद मिली है और यह 15,000 टन पर पहुंच गया है। हालांकि ग्राहकों को दी जा रही छूट के बारे में कोई खुलासा नहीं किया गया है। बागरा ने हाल के महीनों में हुई बिक्री के आंकड़ों के बारे में कुछ भी नहीं कहा, लेकिन यह कहा कि कंपनी द्वारा यह रिकॉर्ड मासिक बिक्री है।
सामान्यतया कंपनी 40 से 80 डॉलर के प्रीमियम पर लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) की कीमतों पर धातुओं की बिक्री करती है। इस समय एलएमई में धातु की औसत कीमत 1338 डॉलर प्रति टन है। कंपनी ने मार्च के बाद बिक्री बढ़ाने के लिए कीमतों में कम से कम दो बार संशोधन किया है।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के हमारे ग्राहकों की खरीद से भी बिक्री में बढ़त दर्ज की गई है, जिन्होंने अपना बजट आवंटन पूरा करने के लिए वित्त वर्ष के आखिर में खरीद की। स्टील अथॉरिटी आफ इंडिया कंपनी की सार्वजनिक क्षेत्र की बड़ी ग्राहक है, जो धातु का प्रयोग स्टील को गलाने में करती है।
एलएमई में एल्युमीनियम की कीमत 23 फरवरी को गिरकर 1251 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई। यह जुलाई 2008 के 3271 डॉलर प्रति टन के उच्चतम स्तर से 62 प्रतिशत कम है। वर्तमान में एलएमई में इस धातु की कीमत 1500 डॉलर प्रति टन के आस पास है।
एल्युमीनियम की कीमतों में आई गिरावट का असर तमाम उत्पादकों पर पड़ा, जिसमें वेदांत समूह की कंपनी भारत एल्युमीनियम कंपनी (बाल्को) भी शामिल है। कंपनी ने उस समय उत्पादन में कमी कर दी थी जब हाजिर बाजार में कीमतें, उत्पादन लागत से कम हो गईं थीं।
बहरहाल, प्राथमिक एल्युमीनियम की उत्पादक सरकारी कंपनी ने उत्पादन में किसी भी तरह की कटौती की संभावना से इनकार किया है। कंपनी इस समय भी लंबे समय के लिए हुए सौदों के माध्यम से अपने उत्पादन के 60 प्रतिशत माल की बिक्री करती है। इसकी कीमतें 2,000 डॉलर प्रति टन हैं। इसके अलावा शेष माल गोदाम में रखा जाता है।
कंपनी ने यह योजना बनाई थी कि अगर भंडार बढ़कर 30,000 टन हो जाता है तो उत्पादन में कटौती की जाएगी, जिससे बदले परिदृष्य का सामना किया जा सके। कंपनी के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने पिछले माह यह कहा था। उसके बाद फरवरी में एक विश्लेषण कांफ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसमें नाल्को ने कहा था कि उसका उत्पादन लागत 1,500 डॉलर प्रति टन है, जबकि कंपनी का वार्षिक उत्पादन करीब 3,50,000 टन है। (BS Hindi)
15 अप्रैल 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें