14 अप्रैल 2009
अनेक सरकारी बंदिशों के बावजूद चीनी बेलगाम
सरकारी बंदिशों के बावजूद चीनी की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। दिल्ली थोक बाजार में सोमवार को चीनी के दाम बढ़कर 2675-2700 रुपये प्रति क्विंटल के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गए। इस दौरान चीनी की एक्स-फैक्टरी कीमतें बढ़कर 2500 से 2550 रुपये प्रति क्विंटल हो गईं। खुदरा बाजार में भी चीनी के दाम बढ़कर 27-28 रुपये प्रति किलो हो गए हैं। हालांकि, थोक के मुकाबले फुटकर में कीमतें कम बढ़ी हैं। इसका प्रमुख कारण फुटकर विक्रेताओं के पास बकाया पुराना स्टॉक है। जैसे ही नई सप्लाई आएगी, वैसे ही खुदरा कारोबार में चीनी की कीमतें और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। चुनावी वर्ष होने के कारण चीनी की बढ़ती कीमतें केंद्र सरकार को चुभन पैदा कर रही हैं।चीनी की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के सरकारी प्रयासों का असर नहीं पड़ रहा है। इसका प्रमुख कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम काफी ऊंचे होना है। चीनी के थोक व्यापारी सुधीर भालोठिया ने बताया कि केंद्र सरकार ने कीमतों को स्थिर बनाए रखने के लिए स्टॉक लिमिट लगाई थी जिसका आंशिक असर कुछ समय के लिए बाजार पर पड़ा था। वाणिज्य सचिव जी के पिल्लई के अनुसार हाल ही में कैबिनेट की बैठक में व्हाइट शुगर से 60 फीसदी आयात शुल्क को समाप्त करने और शुल्क रहित रॉ शुगर को आयात करने के बाद निर्यात करने की पाबंदी से छूट देने पर फैसला लिया जा चुका है। चुनाव आयोग से इसकी इजाजत भी मिल गई है। लेकिन अभी तक अधिसूचना जारी नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि एक-दो दिन में इसकी अधिसूचना जारी हो जाएगी।बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने कोटे में भी बढ़ोतरी की। अप्रैल से जून तक के लिए (दूसरी तिमाही के लिए) चीनी का कोटा बढ़ाकर 54 लाख टन का किया गया है। इसमें अप्रैल के लिए 19.5 लाख टन और मई महीने के लिए 18.5 लाख टन तथा जून के लिए 16 लाख टन चीनी का कोटा है। कोटा ज्यादा आने के बावजूद भी तेजी बनी हुई है। इंडिया शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक शांति लाल जैन ने बताया कि चीनी की उत्पादन लागत में बढ़ोतरी और विश्व में चीनी के उत्पादन में कमी आई हैं। अत: अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके भाव काफी तेज बने हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी (व्हाइट शुगर) के दाम 400-403 डॉलर प्रति टन हैं। 40 डॉलर प्रति टन के हिसाब से शिपिंग का भाड़ा जोड़ने के बाद आयातित चीनी की कीमतें भारतीय बंदरगाह पर 440-443 डॉलर प्रति टन बैठेंगी। इस आधार पर आयातित चीनी की कीमत करीब 2400 रुपये प्रति क्विंटल बैठेगी। उनके मुताबिक चालू फसल सीजन में देश में चीनी का उत्पादन घटकर 146 लाख टन और बकाया 80 लाख टन मिलाकर कुल उपलब्धता 226 लाख टन की बैठेगी, जबकि हमारी सालाना खपत 220 लाख टन की है। ऐसे में नई फसल के समय बकाया नाम मात्र का ही बचेगा।इस्मा के अध्यक्ष समीर एस सोमैया ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की ऊंची कीमतों को देखते हुए मौजूदा भावों में तो आयात होने के आसार कम हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की खरीद शुरू होते ही दाम का बढ़ना लगभग तय है। (Business Bhaskar....R S Rana)
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