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13 अप्रैल 2009

मैंथा क्रिस्टल बोल्ड का निर्यात बढ़ा

निर्यातकों की मांग बढ़ने और स्टॉकिस्टों की बिकवाली कम आने से मैंथा तेल में तेजी के आसार हैं। चालू वर्ष के फरवरी महीने में क्रिस्टल बोल्ड के निर्यात में करीब 175 फीसदी का इजाफा हुआ है। उत्पादक मंडियों में पिछले दस दिनों में इसकी कीमतों में करीब 10-15 रुपये प्रति किलो की तेजी आकर मैंथा तेल के भाव 595 रुपये और क्रिस्टल बोल्ड के भाव 680 रुपये प्रति किलो हो गये। हालांकि मैंथा की रोपाई का लगभग 90 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। मैंथा की रोपाई भी पिछले साल के लगभग बराबर ही रही है। लेकिन स्टॉकिस्ट की मजबूत पकड़ होने से मौजूदा भावों में और भी 20-25 रुपये प्रति किलो की तेजी आने की संभावना है।एसेंशिएल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष जुगल किशोर ने बिजनेस भास्कर को बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रिस्टल बोल्ड के भाव 15 डॉलर प्रति किलो (सीएंडएफ) चल रहे हैं। इन भावों में यूरोप और चीन की अच्छी मांग निकल रही है। स्टॉकिस्टों की बिकवाली भी कम आ रही है। जिससे मैंथा तेल की तेजी को बल मिला है। नई फसल आने में अभी करीब तीन माह का समय शेष है। अत: इसके मौजूदा भावों में और भी 20-25 रुपये किलो की तेजी आने की उम्मीद है। भारतीय मसाला बोर्ड के सूत्रों के अनुसार यूरोप और चीन की मांग बढ़ने से चालू वर्ष के फरवरी महीने में इसके निर्यात में करीब 175 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। चालू वर्ष के फरवरी महीने में क्रिस्टल बोल्ड का निर्यात बढ़कर 3500 टन का हुआ है। पिछले साल फरवरी महीने में मात्र 1275 टन का ही निर्यात हुआ था। चालू वर्ष के जनवरी-फरवरी महीने में देश से क्रिस्टल बोल्ड के निर्यात में करीब 35 फीसदी का इजाफा हुआ है। इस दौरान 4250 टन का निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात 3170 टन का हुआ था। हालांकि वित्त वर्ष 2008-09 के अप्रैल-08 से फरवरी-09 तक देश से क्रिस्टल बोल्ड के कुल निर्यात में हल्की गिरावट दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2008-09 के पहले 11 महीनों में देश से इसका कुल निर्यात 19,000 टन का हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात 19,570 टन का हुआ था।उत्तर प्रदेश मेंथा उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष फूल प्रकाश ने बताया कि उत्पादक क्षेत्रों में मेंथा की रोपाई का करीब 90 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। पिछले साल किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिली थी इसलिए चालू वर्ष में मेंथा की रोपाई पिछले वर्ष के लगभग बराबर ही होने की संभावना है। अगर मौसम फसल के अनुकूल रहा तो उत्पादन पिछले वर्ष से ज्यादा रहेगा। पिछले वर्ष रोपाई तो अच्छी हुई थी लेकिन कटाई के समय उत्पादक क्षेत्रों में मौसम खराब होने से उत्पादन में कमी आई थी। संभल के मेंथा व्यापारी अनुराग रस्तोगी ने बताया कि पहले की तुलना में स्टॉकिस्टों की बिकवाली घटी है। संभल, चंदौसी और बाराबंकी में मेंथा तेल की दैनिक आवक 200 ड्रमों (एक ड्रम 180 किलो) की रह गई। (Business Bhaskar...R S Rana)

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