13 अप्रैल 2009
ऑयल मील बढ़ा रहे हैं सोया, सरसों के भाव
भले ही ऑयल मील यानि खली का निर्यात पिछले वित्त वर्ष के दौरान हर तिमाही में गिरता चला गया। लेकिन अब फिर से निर्यात मांग निकलने से खली तिलहन के भाव को बढ़ा रही है। तिलहन के बजाय खली की निर्यात मांग ज्यादा होने का असर यह है कि सोया खली के भाव आनुपातिक रूप से ज्यादा चल रहा है। सोया खली महंगी हुई तो सरसों खली भी महंगी होती जा रही है। सोयाखली के भाव इस समय करीब 22000 रुपये प्रति टन हैं जबकि सोयाबीन के 2550 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रहे हैं। जानकारों के अनुसार सोयाबीन के मूल्य के आधार पर 18क्00 रुपये प्रति टन का खली का मूल्य आनुपातिक रूप से सही होगा।इस महीने सरसों व सोयाबीन की कीमतों में लगातार मजबूती देखने को मिली है लेकिन तेजी यह का दौर दूसर पखवाड़े में थम सकता है क्योंकि भाव काफी ऊंचे निकल चुके हैं। हालांकि सरसों व सोयाबीन की कीमतों में बड़ी गिरावट की संभावना से इंकार किया जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो सरसों व सोयाबीन की कीमतों में दो-तीन फीसदी की तेजी के बाद हल्की गिरावट देखने को मिल सकती है।अप्रैल के दौरान ग्यारह फीसदी की तेजी आकर सरसों खली के भाव श्रीगंगानगर में पिछले सप्ताह के अंतिम कारोबारी दिवस को 1180 रुपए क्विंटल पर पहुंच गए। इसी तरह इंदौर में सोया खली के भाव समानावधि में करीब छह फीसदी बढ़कर 22075 रुपए टन हो गए। एनसीडीईएक्स में मई वायदा सोयाबीन लगभग दस फीसदी की तेजी से 2630 रुपये `िंटल और मई वायदा सरसों आठ फीसदी उछलकर म्क्फ् रुपए प्रति दस किलो हो गई। वहीं जयपुर मंडी में इस महीने सरसों के भाव ग्यारह फीसदी बढ़कर 2550 और इंदौर में सोयाबीन के भाव आठ फीसदी की तेजी से 2540 रुपए क्विंटल पर पहुंच गए। सरसों व सोयाबीन में तेजी के कारण अप्रैल के दौरान सरसों व सोयातेल में भी पांच फीसदी से ज्यादा की तेजी देखने को मिली है।हालांकि तिलहन, खली और तेल के भावों में तेजी की चाल अलग-अलग रही।तिलहन उत्पादन के लिहाज से वित्त वर्ष 2008-09 सामान्य ही रहा है। पिछले वित्त वर्ष में देश में 246.5 लाख टन तिलहन की पैदावार का अनुमान है जो कि पूर्व वित्त वर्ष में 245.9 लाख टन थी। इस तरह खरीफ सीजन में तिलहन उत्पादन में कमी को रबी सीजन में सरसों की बंपर पैदावार ने पाट दिया है। उल्लेखनीय है कि रबी सीजन में सरसों का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में करीब 43 फीसदी बढ़कर 65.5 लाख टन होने का अनुमान है। वहीं खली निर्यात के लिहाज से भी वित्त वर्ष 2008-09 में बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में देश से 54.21 लाख टन से ज्यादा खली निर्यात हुआ, जबकि पूर्व वित्त में 54.42 लाख टन से ज्यादा खली का निर्यात किया गया था। खली निर्यात में पिछली तिमाही के दौरान 45 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। (Business Bhaskar)
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