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11 अप्रैल 2009

रिफाइंड चीनी के इंपोर्ट पर 4 महीने तक ड्यूटी नहीं

नई दिल्ली : सरकार ने रिफाइंड चीनी पर लगा 60 फीसदी आयात शुल्क अगले चार महीने के लिए हटा लिया है। इससे इस दौरान यानी 31 जुलाई तक कुल 10 लाख टन रिफाइंड चीनी का आयात होने की संभावना बनी है। वहीं, सरकार ने दो महीने पहले कच्ची चीनी पर से आयात शुल्क हटाने का फैसला किया था। सरकार ने यह कदम गन्ने की उपज कम होने के चलते चीनी के दाम में तेज उछाल को रोकने के मकसद से उठाया था। फिर हफ्तों तक अफवाह का बाजार गर्म रहा कि इसके चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम में उछाल आ सकता है। बाजार को अब इस बात का इंतजार है कि आयातक विदेश से कितनी चीनी मंगाते हैं। उद्योग और सरकारी के सूत्रों ने बताया कि गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में सरकार ने यह शर्त हटा ली कि आयातक जितनी कच्ची चीनी मंगाएगा उसे तय समय सीमा के भीतर एक निश्चित मात्रा में रिफाइंड चीनी का निर्यात करना होगा। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं किए जाने की शर्त पर कहा, 'रिफाइंड चीनी से आयात शुल्क हटाने और कच्ची चीनी के आयात के बदले निर्यात की अनिवार्यता खत्म करने का आदेश 31 जुलाई तक प्रभावी होगा।' चूंकि सरकार ने यह कदम आम चुनाव से ठीक पहले उठाया है इसलिए उस पर चुनाव आयोग से मंजूरी की मुहर लगवानी होगी। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस प्रस्ताव को आयोग की मंजूरी जल्द-से-जल्द मिलने की उम्मीद है। जैसे ही मंजूरी मिलेगी इसकी अधिसूचना जारी की जाएगी। सरकार ने जो फैसला लिया उसके मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र की तीन ट्रेडिंग कंपनियों- एसटीसी, एमएमटीसी और पीईसी के अलावा नेफेड को 10 लाख टन चीनी का ड्यूटी मुक्त आयात करने की इजाजत होगी। उद्योग से जुड़े सूत्र ने पहले बताया था कि सरकार ने कई हफ्ते पहले 20 लाख टन से कम चीनी के आयात का इरादा बनाया था, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में हलचल पैदा करने के लिए काफी था। गौरतलब है कि भारत के चीनी के निर्यातक से आयातक बनने से बाजार में पहले ही हलचल मची हुई थी। कई विश्लेषकों और ट्रेडरों ने घरेलू बाजार में चीनी के दाम में आई कमी को देखते हुए इस कयास को सिरे से खारिज कर दिया था कि सरकार रिफाइंड चीनी के आयात को मंजूरी देगी। सरकारी अधिकारियों ने तो आयात करने योजना को हाल के हफ्तों में तो ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश शुरू कर दी थी। लेकिन हाल के दिनों (पिछले कारोबारी 11 सत्रों) में चीनी के दाम में 7 फीसदी से ज्यादा का उछाल आया है। ऐसा तब हुआ जब उद्योग जगत के एक बड़े खिलाड़ी ने यह कहा कि वित्त वर्ष 2008-09 में चीनी का उत्पादन 1.42 करोड़ टन रह सकता है। यह पिछले अनुमान से 8.4 फीसदी कम है। (ET Hindi)

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