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14 अप्रैल 2009

हल्दी पर मौसम की मार, 10 प्रतिशत गिर सकता है उत्पादन

मुंबई April 14, 2009
देश में हल्दी के उत्पादन में चालू सत्र के दौरान 10 प्रतिशत की गिरावट के आसार हैं।
जिंस विश्लेषकों और कारोबारियों का कहना है कि इस फसल के दौरान मानसून अनुकूल नहीं रहा, जिसके चलते फसल की उत्पादकता कम हो सकती है।
बाजार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक उत्पादन घटकर 39-40 लाख बोरी (एक बोरी 75 किलो की होती है) रह सकता है, जबकि पिछले साल 44 लाख बोरी हल्दी का उत्पादन हुआ था। हाल ही में अनुमान लगाया गया था कि इस सीजन में हल्दी का उत्पादन 42 लाख बोरी रहेगा।
एग्रीवाच कमोडिटीज की जिंस विश्लेषक सुधा आचार्य ने कहा, 'इस साल उत्पादन में कमी आएगी क्योंकि डुग्गिराला और वारंगल केंद्रों पर उत्पादन में कमी के आसार हैं। इसकी प्रमुख वजह खराब मौसम ही है, क्योंकि जब फसल तैयार हो रही थी तो मौसम इस फसल के अनुकूल नहीं रहा।'
आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में बडे पैमाने पर हल्दी का उत्पादन होता है। बहरहाल, इस साल आंध्र प्रदेश के कुछ बड़े हल्दी उत्पादक केंद्रों पर फसल के नुकसान की खबर है, जहां उत्पादन कम रहेगा। महाराष्ट्र के सांगली के कारोबारी मिलन शाह का कहना है कि इस जिंस की कीमत स्थिर रहने की उम्मीद है, हालांकि बाद में इसकी कीमतें बढ़ भी सकती हैं।
इसकी प्रमुख वजह यह है कि इस साल हल्दी की कमी के अनुमान लगाए जा रहे हैं। पिछले एक पखवाड़े में हाजिर और वायदा बाजार में हल्दी की कीमतों में जोरदार तेजी देखी गई है और वर्तमान में कीमतें सामान्य से 1000 रुपये प्रति क्विंटल ऊपर चल रही हैं। आचार्य ने कहा कि हल्दी के दाम नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। अगर हाल की स्थिति देखें तो कीमतों में बढ़त बने रहने के आसार हैं।
रिपोर्टों के मुताबिक घरेलू और विदेशी बाजारों में हल्दी की मांग बेहतर है। यह हल्दी की पिसाई का मौसम है, और इस काम में लगी इकाइयां हल्दी की खरीद कर रही हैं। इसके चलते कीमतों में कमी के आसार नहीं हैं। हालांकि विश्लेषक यह भी इशारा कर रहे हैं कि इस जिंस में मुनाफावसूली हो सकती है।
बाजार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि वारंगल, कुडप्पा और डुग्गिराला (जहां से आवक जल्द ही शुरू हुई है), वहां पर उत्पादन में करीब आधे की कमी आई है। सामान्यतया इन इलाकों में कुल मिलाकर 3 लाख बोरी हल्दी का उत्पादन होता है, लेकिन इस बार 1.5 लाख बोरी उत्पादन का अनुमान है।
यह भी रिपोर्ट आ रही है किसान कीमतों में बढ़ोतरी के इंतजार में फसलों को रोक रहे हैं, जिसकी वजह से कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल की समान अवधि की तुलना में हल्दी की कीमतों में 10-15 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हुई है।
निजामाबाद में जब आवक शुरू हुई थी, तब हल्दी की कीमत 4,000 रुपये प्रति क्विंटल के करीब थी, जो अब बढ़कर 5,000-5,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। इसी तरह से इरोड (तमिलनाडु) में भी वर्तमान कीमतें 5,200-5,500 रुपये प्रति क्विंटल हैं।
वर्तमान में निजामाबाद में आवक में खासा उतार चढ़ाव है, जो 10,000 से 16,000 बोरी प्रतिदिन है, जिसमें 10-15 प्रतिशत की नमी है। उम्मीद की जा रही है कि मई तक आवक जारी रहेगी। बहरहाल कारोबारियों के एक वर्ग का कहना है कि कीमतों में उछाल मुख्य रूप से सटोरियों की सक्रियता के चलते हो रहा है।
मुंबई के एक पुराने कारोबारी मनुभाई शाह का कनहा है कि वास्तविक उत्पादन उतना कम नहीं है, जितना प्रचारित किया जा रहा है। उत्पादन 46 लाख बोरियां रहने का अनुमान है, इससे देश में हल्दी की कमी नहीं पड़ने वाली है। उन्होंने कहा कि सटोरियों की गतिविधियों के चलते कीमतों में उछाल ज्यादा दिन तक नहीं रहने वाला है।
हमारे डुग्गिराला संवाददाता के मुताबिक हल्दी की कीमतों में उछाल अचानक मार्च में आंध्र प्रदेश और अन्य राज्यों में शुरू हुई। वायदा बाजार में आवक में देरी की वजह से दो सप्ताह में कीमतें 1000 से 1100 रुपये प्रति क्विंटल तक की उछाल दर्ज की गई। देश के विभिन्न बाजारों में इसकी कीमतें 6,000 रुपये प्रति क्विंटल तक जा सकती हैं। (BS Hindi)

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