भोपाल April 14, 2009
एफएमसीजी कंपनियों को गेहूं की शरबती किस्म की खरीद के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे।
इसकी वजह यह है कि मालवा पठार के इलाकों में जहां सबसे ज्यादा प्रोटीन वाले गेहूं की किस्म का उत्पादन होता है वहां कम बारिश होने की वजह से उत्पादन पर भी काफी फर्क पड़ा है।
शरबती किस्म की गेहूं की कीमतें लगभग 2500-3000 रुपये प्रति क्विंटल है और यह 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ने के आसार हैं। देश में यह राज्य गेहूं उत्पादन करने के लिहाज से तीसरा सबसे बड़ा उत्पादन क्षेत्र है। शरबती की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है।
मालवा क्षेत्र के किसानों को फसल की आवक के बेहतर लक्षण की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। इसके अलावा बारिश की कमी की वजह से उत्पादन क्षमता पर फर्क पड़ा है। किसानों की मानें तो उत्पादन में प्रति हेक्टेयर 5 क्विंटल तक की कमी आई है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि मालवा क्षेत्र के 1.5 लाख हेक्टेयर में कोई फसल नहीं है।
आईटीसी, कारगिल और हिन्द लीवर (यूनिलीवर) ने अभी तक शरबती की खरीद की शुरुआत नहीं की है। ऐसा लगता है कि पिछले साल के 7 लाख टन के उत्पादन स्तर से भी इस साल कम रहने आसार हैं। आईटीसी जैसी कंपनियों ने ई-चौपाल और चौपाल सागर जैसे सूचना के केंद्र और गेहूं की खरीद के लिए पूरे राज्य में केंद्र बनाएं हैं।
फिलहाल कुछ मल्टीनेशनल कंपनियों ने लोक-1 गेहूं की किस्म की खरीद शुरू की है। कृषि विभाग के मुख्य सचिव प्रवेश शर्मा का कहना है, 'मल्टीनेशनल कंपनियां अगले हफ्ते से खरीद शुरू कर सकती हैं।'
शर्मा का कहना है, 'इस साल उत्पादन स्थिर रहने की उम्मीद है और इसके रकबे में 2.5 लाख हेक्टेयर की कमी के बावजूद 60 लाख टन का उत्पादन होगा। हमारी कोशिश पिछले साल के उत्पादन स्तर तक भी पहुंचने की है। इसके लिए बारिश वाले जगहों मसलन ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड में प्रमाणित बीजों की आपूर्ति की जा रही है।
फिलहाल हमने 5 लाख टन गेहूं की खरीद कर ली है लेकिन हमारा लक्ष्य 20 लाख टन की खरीद करने का है।' उनका दावा है कि उत्पादकता 17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 19 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गई है। उनका कहना है, 'इसके अलावा हम किसानों को उत्पादकता बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक तकनीक के बारे में सलाह और सहयोग दे रहे हैं।
मंडी की आवक की तस्वीर से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि इस साल उत्पादकता बढ़ी है। हमने पिछले साल के 2 लाख टन गेहूं की खरीद के मुकाबले 5 लाख टन की खरीद की है।' राज्य को 1080 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 50 रुपया बोनस देना है लेकिन मालवा क्षेत्र के किसान खुश नहीं है।
नसरुल्लागंज के एक किसान का कहना है, 'इस साल खेतों को बारिश की कमी झेलनी पड़ी और हमारे खेत के लिए सिंचाई को कोई साधन भी नहीं है।' पास्ता पसंद करने वाले देशों, बिस्कुट निर्माता और चक्की ताजा आटा बनाने वाले शरबती गेहूं की मांग ज्यादा करते हैं। (BS Hindi)
14 अप्रैल 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें