01 अप्रैल 2009
गन्ने की पैदावार घटी, एल्कोहल लागत बढ़ी
नई दिल्ली: देश में गन्ने की पैदावार में भारी कमी की वजह से भारत बड़ी मात्रा में ब्राजील से अल्कोहल का आयात कर रहा है। गन्ने के उत्पादन में गिरावट आने से देश में शीरे की कमी हो गई है। इससे अल्कोहल की लागत भी बढ़ गई है। गन्ने की कमी से तेल कंपनियों को एथेनॉल की सप्लाई में भी दिक्कत हो रही है।घरेलू केमिकल इंडस्ट्री को इस साल दिसंबर तक पांच लाख टन अल्कोहल के आयात की उम्मीद है। ब्राजील दुनिया में अल्कोहल का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है। ज्यादा आपूर्ति की वजह से ब्राजील में अल्कोहल की कीमतें काफी गिर गई हैं। वहीं, भारत में चीनी उत्पादन घटने से मिलें पेट्रोलियम कंपनियों को एथेनॉल सप्लाई का वादा पूरा नहीं कर पाएंगी। देश की सबसे बड़ी चीनी कंपनी बजाज हिंदुस्तान लिमिटेड है। उसने पहले तेल कंपनियों को जितने एथेनॉल की सप्लाई का वादा किया था, अभी वह उसका आधा हिस्सा ही उन्हें सप्लाई कर पा रही है। दरअसल, चीनी उत्पादन घटने से शीरे की कमी हो गई है। वहीं, श्री रेणुका शुगर्स जैसी दूसरी कंपनियों को तेल कंपनियों के साथ अपने सौदे पूरे करने के लिए ब्राजील से एथेनॉल का आयात करना पड़ रहा है। एथेनॉल सप्लाई का वादा पूरा नहीं करने पर चीनी कंपनियों पर मामूली जुर्माना देना पड़ता है। एथेनॉल की कमी से हाजिर बाजार में इसकी कीमतें बढ़ गई हैं। कुछ मिलें इसका फायदा उठाने के लिए तेल कंपनियों से एथेनॉल सप्लाई का वादा तोड़ रही हैं। दरअसल, इन कंपनियों ने एथेनॉल सप्लाई का करार पहले किया था। तब इसकी कीमतें कम थीं।अल्कोहल की सबसे ज्यादा मांग शराब कंपनियां करती हैं। ये कंपनियां हाजिर बाजार में इसकी खरीद के लिए ज्यादा कीमत देने के लिए तैयार हैं। यूपी की एक चीनी कंपनी के अधिकारी के मुताबिक, प्रदेश में 30 फीसदी शीरे की सप्लाई देसी शराब के लिए आरक्षित है। ऐसे में शराब कंपनियों के लिए अल्कोहल खरीदे जाने की मात्रा लगभग तय रहती है। इस वजह से औद्योगिक अल्कोहल कंपनियों के पास ब्राजील से अल्कोहल के आयात करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा है। ब्राजील का अल्कोहल करीब 20 फीसदी सस्ता पड़ता है। जुबिलेंट ऑगेर्नोसिस जैसी बड़ी केमिकल कंपनियां एथेनॉल की जरूरत को पूरा करने के लिए ब्राजील के साथ करीब एक लाख टन एथेनॉल आयात करने का करार कर रही हैं। केमिकल इंडस्ट्री के एक अधिकारी के मुताबिक, 'डिस्टिलरी 25 रुपए प्रति लीटर की दर से अल्कोहल बेच रही हैं। ब्राजील से आने वाला अल्कोहल ड्यूटी चुकाने के बाद 22 रुपए प्रति लीटर पड़ रहा है। रुपए में आई कमजोरी का भी फायदा आयातकों को हो रहा है। वह भी ऐसे वक्त में जबकि रुपया डॉलर के मुकाबले 52 रुपए के स्तर पर चल रहा है। साथ ही ब्राजील के कारोबारी 90 दिन की क्रेडिट लिमिट भी दे रहे हैं। भारतीय कारोबारी तुरंत भुगतान की मांग कर रहे हैं।' अगर केमिकल कंपनियां अपनी पूरी क्षमता से उत्पादन शुरू कर दें तो भारतीय अल्कोहल आयात में और तेजी आ सकती है। (ET Hindi)
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