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06 अप्रैल 2009

सस्ती दरों पर गेहूं-चावल देने की होड़

राज्य सरकारों द्वारा केंद्र की तुलना में कम भाव पर गेहूं और चावल देने से पीडीएस के तहत उठान में आई कमी

नई दिल्ली April 06, 2009
विभिन्न राज्यों की सस्ती दरों पर दी जाने वाली अनाज योजनाओं के चलते केंद्र सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) पर बुरा असर पड़ रहा हैं।
गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल), गरीबी रेखा के ऊपर (एपीएल) और अन्त्योदय अन्न योजना (एएवाई) के माध्यम से पीडीएस के तहत दिए जाने वाले गेहूं और चावल के उठान में 2008-09 में तेजी से कमी आई है।
ऐसे साल में जब सरकारी अनाज खरीद योजना के तहत खरीद एक उच्चतम रिकार्ड बनाते हुए भंडार 510 लाख टन पर पहुंच गया है, पीडीएस के तहत गेहूं और चावल के उठान में क्रमश: 9.72 और 7.75 प्रतिशत की कमी आई है। राज्य सरकारों द्वारा पीडीएस से कम मूल्य पर गेहूं और चावल की बिक्री के चलते ही ऐसा संभव हुआ है।
उदाहरण के लिए केंद्र सरकार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को चावल 5.65 रुपये प्रति किलो के भाव से देती है। इसके विपरीत छत्तीसगढ़ सरकार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को चावल 3 रुपये प्रति किलो दे रही है, जो केंद्र सरकार की दरों की तुलना में करीब 47 प्रतिशत कम है।
मध्य प्रदेश सरकार बीपीएल श्रेणी में आने वाले लोगों को गेहूं 3 रुपये प्रति किलो की दर से दे रही है, जबकि केंद्र सरकार की दर 4.15 रुपये प्रति किलो है। इस तरह से मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बीपीएल श्रेणी को दिया जा रहा गेहूं केंद्र की तुलना में करीब 28 प्रतिशत सस्ता है।
आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और उड़ीसा की सरकारें भी कुछ इसी तरह की योजनाएं चला रही हैं और अनाज की बिक्री की दरें केंद्र सरकार की तुलना में कम है। इन सभी योजनाओं की घोषणा पिछले साल हुई थी। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के एक अधिकारी ने कहा कि उठान में कमी की प्रमुख वजह कई राज्यों द्वारा सस्ती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना है।
खास बात यह है कि ये राज्य गेहूं और चावल की खरीद केंद्रीय पूल से इकनॉमिक दरों पर खरीदते हैं। इकनॉमिक दरों में खरीद मूल्य, परिवहन खर्च और वितरण आदि के खर्च शामिल होते हैं।
पीडीएस योजना के तहत गेहूं की उठान अप्रैल-फरवरी के दौरान का मासिक औसत 790,000 टन रहा है, जो पिछले साल की समान अवधि की उठान के मासिक औसत 875,000 टन की तुलना में 9.72 प्रतिशत कम है। इसी तरह से चावल के मामले में भी उठान में 7.75 प्रतिशत की कमी आई है। 2008-09 के पहले 11 महीनों में चावल की औसत मासिक उठान 13,45,000 टन रही।
यह इस वजह से भी हो रहा है कि प्रमुख राजनीतिक दल मतदाताओं को रिझाने के लिए सस्ती दरों पर अनाज देने का वादा कर रहे हैं। कांग्रेस ने जहां गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को 3 रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं और चावल देने का वादा किया है, वहीं भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में 2 रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं और चावल देने का वादा किया है। (BS Hindi)

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