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06 अप्रैल 2009

सीमेंट उद्योग ने दिए कीमतें न बढ़ाने के संकेत

मुंबई April 06, 2009
सीमेंट की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के मुद्दे पर औद्योगिक नीति और प्रोत्साहन (डीआईपीपी) विभाग द्वारा किए गए हालिया हस्तक्षेप के बाद सीमेंट उद्योग ने संकेत दिए हैं कि अब भविष्य में सीमेंट की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी।
इस साल के फरवरी महीने से सीमेंट की कीमतों में तीन बार बढ़ोतरी हुई है। सीमेंट की 50 किलो की एक बोरी की कीमत औसतन 10-15 रुपये बढ़ गई है। सरकार ने 2007 में सीमेंट की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए कुछ खास कदम उठाए थे।
पिछले कुछ महीनों में भी सरकार ने सीमेंट उद्योग को राहत देने वाले फैसले किए थे, जिसमें उत्पाद शुल्क में कटौती, पाकिस्तान से आने वाले सीमेंट पर काउंटर-वेलिंग डयूटी लगाने और निर्यात को खोलने जैसे फैसले शामिल हैं।
बहरहाल सीमेंट उत्पादन करने वाली बड़ी कंपनियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि वे सरकार के हस्तक्षेप से नाखुश हैं, क्योंकि इस समय जो कुछ हो रहा है, पूरी तरह बाजार द्वारा संचालित है। उन्होंने यह भी कहा कि सालाना आधार पर देखें तो सीमेंट की कीमतों में बहुत ही मामूली बढ़ोतरी हुई है।
सीमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीएमए) के अध्यक्ष हरि मोहन बांगुर ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी करना कंपनियों का निजी फैसला है और सीएमए के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है कि वे कंपनियों से कीमतें कम करने को कहे। बांगुर श्री सीमेंट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक हैं जो उत्तर भारत में एक प्रमुख सीमेंट आपूर्तिकर्ता कंपनी है।
एक कंपनी के प्रमुख अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, 'सरकार गलत आधार पर फैसले कर रही है। सरकार मुक्त बाजार व्यवस्था में कोयले की कीमतों पर नियंत्रण क्यों नहीं कर रही है, जिसका सीधा संबंध सीमेंट की कीमतों से है? सीमेंट की कीमतें बाजार अवधारणा से तय होती हैं और कीमतें बढ़ाने का फैसला सामूहिक रूप से नहीं लिया गया है।'
अंबुजा सीमेंट के प्रबंध निदेशक अमृत लाल कपूर ने कहा कि अब भविष्य में सीमेंट की कीमतों में बढ़ोतरी की कोई उम्मीद नहीं है और हमारा कीमतें बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है। सीमेंट की कीमतें स्थिर बनी रहेंगी और अगले दो महीनों में सीमेंट की मांग में भी कमी आने के आसार हैं, जिसके चलते उत्पादन बढ़ जाने के बाद से कीमतों पर दबाव बनेगा।
बांगुर ने कहा कि पिछले साल के अंतिम महीनों में सीमेंट की कीमतों में पहले ही गिरावट आ गई थी। इस तरह से अगर आज की कीमतों पर नजर डालें तो पिछले साल की कीमतों के करीब ही हैं- केवल 4-5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि कीमतों में इतनी बढ़ोतरी नहीं हुई है कि उसे संज्ञान में लिया जाए।
बिनानी सीमेंट के प्रबंध निदेशक विनोद जुनेजा ने कहा, 'कीमतों में बढ़ोतरी मांग और आपूर्ति का खेल है। यह कोई स्थायी प्रवृत्ति नहीं है। निकट भविष्य में कीमतों में फिर बदलाव होने के आसार हैं। बहरहाल हम सीमेंट की कीमतों में बढ़ोतरी करने की कोई योजना नहीं बना रहे हैं।'
उद्योग जगत के सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि एक महीने पहले डीआईपीपी के सचिव ने सीमेंट उत्पादकों की एक बैठक का आयोजन किया था। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश उन राज्यों में प्रमुख है, जहां सीमेंट की मांग में जोरदार बढ़ोतरी हुई, जिसके चलते सीमेंट की कमी हो गई। इसके चलते सीमेंट उत्पादकों को कीमतें बढ़ाने का मौका मिल गया।
कानपुर स्थित जेके सीमेंट के मुख्य वित्तीय अधिकारी एके सारगोई ने कहा कि अधिकतम खुदरा मूल्य में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। इसमें महज 3-5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। कंपनियां नहीं बल्कि डीलर कीमतों में बढ़ोतरी कर रहे हैं। (BS Hindi)

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