कुल पेज दृश्य

11 अप्रैल 2009

ग्रीन टी का जलवा

April 11, 2009
हाल तक भारतीय चाय प्रेमी ग्रीन टी यानी हरी चाय के स्वाद से वंचित थे। वे दार्जिलिंग या क्लासिक असम चाय का स्वाद लेते रहे हैं।
प्रमुख समस्या हरी चाय की उपलब्धता को लेकर थी। यह चाय या तो महंगे होटलों में या फिर कुछ खास आउटलेटों में उपलब्ध हो सकती थी। इसे लेकर चाय कंपनियों की रुचि बढ़ी है।
ब्रिटेन की कंपनी टि्वनिंग ने इसमें संभावनाओं की तलाश की। हरी चाय को औषधीय संपदा के रूप में जाना जाता है जो वजन घटाने, कैंसर की रोकथाम और दिल की बीमारियों से मुकाबला करने में मददगार साबित होती है। यह युवाओं को इस स्वास्थ्य और वेलनेस प्लेटफॉर्म की बिक्री कर अपने कारोबार में इजाफा कर सकती है।
सबसे पहले कदम था उपभोक्ता प्रतिक्रिया का पता लगाना। इसे ध्यान में रखते हुए टि्वनिंग ने पिछले साल डायरेक्ट मार्केटिंग कंपनी एमवे के साथ करार किया और उपभोक्ताओं के लिए हरी चाय के पैक को इसके कैटालॉग बुक में दिखाया।
टि्वनिंग ने इस उत्पाद के नमूनों को एमवे के सदस्यों 'डायमंड' के समक्ष पेश किया और हरी चाय के फायदों के बारे में उन्हें समझाया। इसका परिणाम बेहद सकारात्मक निकला। टि्वनिंग ने अपना तीन महीने का माल 30 दिन के अंदर ही बेचने में सफलता हासिल की।
अगला कदम इसके लिए वाकई एक चुनौती थी। चुनौती यह थी कि पूरे देश में उपभोक्ताओं के बड़े वर्ग के बीच हरी चाय कैसे बेची जाए जहां ब्लैक टी का इस्तेमाल किया जाता रहा हो। इसने इस चुनौती पर तीन आसान एवं नए तरीकों के जरिये काबू पाया।
पहला, इसने पैकेट के आकार को 25 और 100 बैग से घटा कर 10 बैग कर दिया ताकि उपभोक्ताओं को इस चाय के स्वाद के लिए बहुत ज्यादा खर्च नहीं करना पड़े (इसी वजह से ग्रीन चाय सामान्य स्वाद वाली चाय की तुलना में 10 फीसदी अधिक महंगी है)।
दूसरा, इसे और अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए इसे नींबू और पुदीना के स्वाद में पेश किया गया। तीसरा, चाय की औषधीय गुणवत्ता की पुष्टि के साथ इसे अपोलो जैसी फार्मा चेन के स्टोरों में जगह दिलाए जाने की पहल शुरू की गई। इस तरह से इस ब्रांड को औषधीय गुणवत्ता की पहचान हासिल हो गई।
टि्वनिंग्स इंडिया के प्रबंध निदेशक सुरेश अय्यर कहते हैं, 'हरी चाय के साथ हम महीने दर महीने वैल्यू में 50 फीसदी तक का इजाफा कर रहे हैं और अगर हम इस उत्पाद को और अधिक शहरों में ले जाते हैं तो यह आसानी से 100 फीसदी तक पहुंच सकता है।' उन्होंने कहा कि टि्वनिंग्स की बिक्री में अब तक हरी चाय की भागीदारी महज 5 फीसदी है, लेकिन इस साल के अंत तक यह भागीदारी बढ़ कर 20 फीसदी हो जाएगी।
आठ साल पहले भारत में दस्तक देने वाली टि्वनिंग्स ने सुपर-प्रीमियम चाय का नया बाजार क्षेत्र तैयार किया है। पांच साल पहले प्रीमियम चाय की 3200 करोड़ रुपये के पैकेज्ड चाय बाजार में लगभग 10 फीसदी की हिस्सेदारी थी और प्रीमियम चाय बिक्री में सुपर-प्रीमियम सेगमेंट की हिस्सेदारी महज 5 फीसदी थी।
अब प्रीमियम सेगमेंट लगभग 4200 करोड़ रुपये के पैकेज्ड चाय बाजार में 20 फीसदी का दबदबा रखता है जिसमें सुपर-प्रीमियम चाय की भागदारी तकरीबन 25 फीसदी है। टी बैग श्रेणी में इसके वर्चस्व का पता इसी से लग जाता है कि अत्याधुनिक ब्रांडेड आउटलेटों में बेचे जाने वाले टी बैग में इसकी 35 फीसदी की हिस्सेदारी है जो टेटली और हिन्दुस्तान यूनिलीवर से अधिक है।
अय्यर कहते हैं कि शुरू से ही यह स्पष्ट था कि मास-मार्केटिंग रणनीतियां, जिनका चॉकलेट या नूडल्स जैसे अन्य एफएमसीजी उत्पादों की बिक्री के लिए इस्तेमाल किया जाता है, टि्वनिंग्स जैसे प्रीमियम ब्रांड के लिए असरदार नहीं रहेंगी। इसलिए इस खेल को सिर्फ वितरण में विस्तार और कीमतों को किफायती बनाए जाने से ही नहीं जीता जा सकेगा।
असल में, ऐसी रणनीति ब्रांड की प्रीमियम छवि को नष्ट कर देगी और यह टाटा टेटली और हिन्दुस्तान यूनिलीवर से कड़ा संघर्ष करने को बाध्य कर सकती जिनका सामूहिक टी बैग बाजार में दबदबा है। कंपनी ने बड़े सुपर बाजारों और बिग बाजार या स्पेंसर्स जैसे रिटेल स्टोरों पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है।
इसने अपना ब्रांड पेश करने के लिए देश के 30 प्रमुख शहरों के 20 फीसदी आउटलेटों का चयन किया है। इसके अलावा टि्वनिंग्स ने अपने ब्रांड की पहचान और बिक्री बढ़ाने के लिए देश के प्रमुख पंचतारा होटलों और किंगफिशर और जेट इंटरनेशनल जैसी एयरलाइंस के साथ भी करार किया है। (साथ में इशिता आयान दत्त (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: