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11 अप्रैल 2009

कच्चे तेल की तेजी का असर रबर पर

कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी और बढ़ी डिमांड ने नेचुरल रबर की तेजी को भड़का दिया है। चालू साल में अब तक नेचुरल रबर की कीमतों में करीब 50 फीसदी की तेजी आ चुकी है। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़कर 51 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गई हैं। चालू साल में इसकी कीमतों में करीब 14 फीसदी का सुधार आ चुका है। इसके मुकाबले रबर के भाव कई गुना बढ़े हैं। वैसे साल 2008-09 में नेचुरल रबर की खपत में भी बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा पिछले साल के मुकाबले कुल स्टॉक भी ज्यादा है। ऐसे में आगामी दिनों में इसकी तेजी काफी हद तक कच्चे तेल की कीमतों पर ही निर्भर रहने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय रबर स्टडी सेंटर के मुताबिक इस साल विश्व भर में रबर की खपत में करीब 3.3 फीसदी की गिरावट आ सकती है।वायदा बाजार में तेजीमल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर अप्रैल महीने के वायदा भाव में पिछले सवा महीने में करीब 30 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। दो मार्च को वायदा पर रबर के दाम 7109 रुपए प्रति क्विंटल थे। नौ अप्रैल को इसकी कीमतें बढ़कर 9277 रुपए प्रति क्विंटल हो गईं। हालांकि वायदा बाजार में इस समय कारोबार सीमित मात्रा में ही हो रहा है। अप्रैल महीने में मात्र दस लॉट के सौदे खड़े हुए हैं।भाव में तेजीकोट्टायम के रबर व्यापारी सुभाष जैन ने बताया कि कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी का असर नेचुरल रबर की कीमतों पर पड़ा है। कच्चे तेल के भाव बढ़कर 51 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर हो गए। आरएसएस-4 रबर की कीमतें 31 दिसंबर को कोट्टायम में 62 रुपए किलो थीं। शुक्रवार को इसकी कीमतें बढ़कर 93 रुपए प्रति किलो हो गईं। इस दौरान आरएसएस-5 रबर के भाव भी 64 रुपए से बढ़कर 95 रुपए किलो हो गए। चालू महीने में इसकी कीमतों में 31 रुपए किलो की तेजी देखी गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी इस दौरान नेचुरल रबर की कीमतों में हल्का सुधार आया है।सीकॉम में आरएसएस-4 के दाम दो मार्च को 71 रुपए प्रति किलो थे जबकि नौ अप्रैल को इसके दाम 82 रुपए प्रति किलो हो गए। बैंकॉक में इसकी कीमतें मार्च के शुरू में 73 रुपए थीं। नौ अप्रैल को ये बढ़कर 82 रुपए प्रति किलो हो गईं। सुभाष जैन ने बताया कि वर्ष 2008 में अगस्त के आखिर सप्ताह में कच्चे तेल की कीमतें बढ़कर 147 डॉलर प्रति बैरल हो गईं थीं जिससे भारतीय घरेलू बाजार में आरएसएस-4 नेचुरल रबर के भाव बढ़कर 142 रुपए प्रति किलो के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गए थे। लेकिन उसके बाद कच्चे तेल की कीमतों में आई एकतरफा गिरावट से घरेलू बाजार में नेचुरल रबर की कीमतों में भारी गिरावट देखी गई थी।उत्पादन और खपत रबर बोर्ड के सूत्रों के अनुसार वर्ष 2008-09 में देश में नेचुरल रबर का उत्पादन 8,65,000 टन का हुआ है। जबकि इस दौरान इसकी खपत 8,66,000 टन की हुई है। इसके उत्पादन में वर्ष 2007-08 के मुकाबले 4.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2007-08 में इसका उत्पादन 8,25,000 टन का हुआ था। वर्ष 2008-09 में नेचुरल रबर की खपत में 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। देश के नेचुरल रबर की खपत वर्ष 2008-09 में 8,66,000 टन की हुई है जबकि इसके पिछले वर्ष में इसकी खपत 8,61,000 टन की हुई थी।निर्यात में कमीरबर बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक विश्व स्तर पर आर्थिक रफ्तार धीमी होने से इसका असर नेचुरल रबर के निर्यात पर भी पड़ रहा है। वर्ष 2008-09 में देश से नेचुरल रबर का निर्यात घटकर मात्र 45,538 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल वर्ष 2007-08 में देश से इसका निर्यात 60,353 टन का हुआ था। कोच्चि में रबर विशेषज्ञ जैशन जोहन ने बताया कि उत्पादन बढ़ने और निर्यात में गिरावट आने से नेचुरल रबर के कुल स्टॉक में भारी बढ़ोतरी हुई है। पिछले दिनों कीमतों में आई भारी गिरावट से उत्पादकों की बिकवाली भी कम आ रही थी जिसके कारण भी स्टॉक बढ़ा है। 31 मार्च तक नेचुरल रबर का कुल स्टॉक बढ़कर 205,000 टन का हो गया जबकि वर्ष 2008 में मार्च के अंत में इसका कुल स्टॉक 164,000 टन का ही था। उन्होंने बताया कि चालू महीने में उत्पादक क्षेत्रों में गर्मी से उत्पादन कम रहेगा जबकि मई महीने में मानसून शुरू हो जाएगा। मानसून के समय भी उत्पादन कम रहता है। सर्दी के मौसम में नेचुरल रबर का उत्पादन ज्यादा होता है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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