नई दिल्ली 04 02, 2009
गेहूं की सरकारी खरीद के पहले दिन पंजाब में सिर्फ 42 टन की खरीदारी हो पायी।
लुधियाना व रोपड़ को छोड़ किसी भी मंडी में गेहूं की आवक नहीं हुई। 1 अप्रैल से पंजाब में गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हो चुकी है और आगामी 15 मई तक खरीदारी चलेगी।
गेहूं के लिए देश के केंद्रीय भंडार में पंजाब का सबसे अधिक योगदान 60 फीसदी तक होता है। गेहूं उत्पादन के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश में अव्वल है। पंजाब खाद्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक लुधियाना मंडी से 37 टन तो रोपड़ मंडी से 5 टन की खरीदारी की गयी।
पूरी खरीदारी सरकार की तरफ से की गयी। क्योंकि व्यापारियों ने गेहूं की बोली लगाने में दिलचस्पी नहीं दिखायी। गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1080 रुपये प्रति क्विंटल है। बाकी मंडियों में गेहूं की आवक नहीं हो पायी।
खबर है कि 21 मार्च से 25 मार्च तक पंजाब के विभिन्न इलाकों में लगातार होने वाली छिटपुट बारिश से गेहूं की कटाई प्रभावित हुई है। इस कारण मंडी में गेहूं की आवक में देर होने की संभावना है। लगता है कि अप्रैल के दूसरे सप्ताह से गेहूं की आवक रफ्तार पकड़ेगी।
हालांकि सरकार ने पूरे पंजाब में 1600 से अधिक मंडियों में गेहूं खरीदने का इंतजाम किया गया है। किसानों को भुगतान के लिए रिजर्व बैंक की तरफ से पंजाब सरकार को 12,153 करोड़ रुपये दिया गया है।
गेहूं खरीद के 48 घंटों में ही किसानों को भुगतान किया जाएगा। इस साल पंजाब में 157 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान है। कारोबारियों की माने तो पंजाब में सरकार को अधिकतम गेहूं की खरीदारी करनी पड़ेगी क्योंकि खुले बाजार में गेहूं की कीमत 1150 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास है।
और एमसीपी की दर से गेहूं खरीदने पर थोक मंडी तक जाते-जाते उसकी कीमत 1200 रुपये प्रति क्विंटल हो जाएगी। सरकार के पास फिलहाल 150 लाख टन से अधिक गेहूं उपलब्ध है। (BS Hindi)
04 अप्रैल 2009
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