04 अप्रैल 2009
गेहूं खरीद का खुलासा नहीं करना होगा
नई दिल्ली : इस सीजन में गेहूं की बम्पर पैदावार और तय लक्ष्य से ज्यादा भंडारण होने के अनुमान के चलते सरकार निजी खरीददारों को वर्ष 2009 में गेहूं की स्टॉक स्थिति बताने से छूट दे सकती है। पिछले दो सालों से निजी खरीददार सरकार के आदेश के मुताबिक गेहूं स्टॉक की घोषणा करते आ रहे हैं। खाद्य मंत्रालय ने 'व्हीट (स्टॉक डिक्लेरेशन बाइ कंपनीज ऑर फर्म ऑर इंडीविजुअल) आर्डर' जारी करके कंपनियों और कारोबारियों को इस बात के लिए बाध्य किया कि वह अपनी स्टॉक लिमिट बताएं। कंपनियों ने वर्ष 2007 और वर्ष 2008 में स्टॉक लिमिट की घोषणा की। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि स्टॉक डिक्लेरेशन ऑर्डर की सीमा अवधि 31 मार्च 2009 को खत्म हो गई है, लेकिन अभी तक कोई नया ऑर्डर जारी नहीं किया गया है और शायद इसे जारी किया भी न जाए। उन्होंने बताया कि अगर सरकार खरीद पर नियंत्रण रखना चाहती है तो उसे अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम के तहत एक नया ऑर्डर जारी करना होता है। ऑर्डर के मुताबिक अगर कोई कंपनी या व्यक्ति 10,000 टन से ज्यादा गेहूं की खरीद करता है, तो उसे राज्य सरकार को इसका ब्योरा देना होता है कि यह खरीद उसने कहां से की है। अगर खरीद 25,000 टन से ज्यादा है, तो इसकी जानकारी केंद्र सरकार को देनी होती है। जानकारों का कहना है कि इस आदेश ने एक निवारक की तरह से काम किया, क्योंकि कोई भी कारोबारी अपने सौदे के आंकड़ों का खुलासा नहीं करना चाहता है। इस आदेश को जारी करने का मकसद निजी क्षेत्र द्वारा किए जाने वाली आक्रामक खरीद को रोकना था, जो कि वर्ष 2006 में बड़ी तादाद में हुई। इस साल सरकार तय 150 लाख टन गेहूं की खरीद नहीं कर पाई थी। (BS Hindi)
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