नई दिल्ली March 31, 2009
भारी स्टॉक के बावजूद चावल की कीमत में फिलहाल गिरावट के आसार नहीं हैं। चावल के थोक कारोबारियों का कहना है कि चावल के दाम अपने न्यूनतम स्तर पर है और इस स्तर से नीचे चावल की कीमत नहीं जाएगी।
दूसरी तरफ खाड़ी देशों से चावल की कुछ मांग निकलने के कारण भी चावल की कीमत स्थिर होती नजर आ रही है। सरकारी स्टॉक में फिलहाल 2.1 करोड़ टन से अधिक चावल उपलब्ध है। गत वर्ष की समान अवधि के दौरान सरकार के पास 1.4 करोड़ टन चावल का स्टॉक था। चावल की कीमत में पिछले साल के मुकाबले 30-40 फीसदी की गिरावट पहले ही हो चुकी है।
कारोबारियों के मुताबिक रोजाना चावल खाने वाले 70 फीसदी से अधिक लोग चावल परमल का इस्तेमाल करते हैं जो कि फिलहाल बाजार में 14-15 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर है। दिल्ली अनाज मंडी के प्रधान नरेश कुमार गुप्ता कहते हैं, चावल की मांग में कोई बढ़ोतरी नहीं है और सरकार की नीति के कारण चावल का कारोबार बिल्कुल बैठ चुका है लेकिन चावल में अधिकतम गिरावट हो चुकी है लिहाजा अब और गिरावट की कोई संभावना नहीं है।
चावल के कारोबारी एवं अनाज मंडी के मंत्री सुरेंद्र कुमार गर्ग कहते हैं कि बासमती चावल पहले ही काफी हद तक टूट चुका है और इसकी कीमत 55-60 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर आ चुकी है। वहीं पूसा-1121 की कीमत गिरावट के साथ 4300-5000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर है।
वे कहते हैं कि सरकार ने जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया तो इस साल चावल गोदामों में सड़ जाएंगे। इस साल खरीफ के दौरान 8.3 करोड़ टन तो रबी के दौरान 140 लाख टन चावल का उत्पादन किया गया। यह उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 1.6 फीसदी अधिक है। सरकार ने पिछले पांच साल के दौरान धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 450 रुपये की बढ़ोतरी की है और फिलहाल न्यूनतम समर्थन मूल्य 1050 रुपये प्रति क्विंटल है। (BS Hindi)
01 अप्रैल 2009
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