15 अप्रैल 2009
20 लाख टन गेहूं निर्यात किए जाने की संभावना
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां एमएमटीसी, पीईसी और एसटीसी को अगले महीने के बाद गेहूं निर्यात के लिए मंजूरी मिल सकती है। पिछले महीने उच्चाधिकार प्राप्त मंत्री समूह (ईजीओएम) की बैठक में सरकारी कंपनियां को गेहूं निर्यात की सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक लोकसभा चुनाव की वजह से इस फैसले पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो सका है। चुनाव बाद यानि मई के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की तीन कपंनियों को गेहूं निर्यात के लिए मंजूरी दी जा सकती है। मौजूदा समय में सरकार के पास सार्वजनिक क्षेत्र के लिए पूरे साल के लिए आवश्यक 150 लाख टन से ज्यादा गेहूं का स्टॉक है। जिसमें से मई के बाद बीस लाख टन गेहूं निर्यात की हरी झंडी मिल सकती है। सूत्रों का कहना है कि इन तीनों कंपनियों को गेहूं निर्यात की मंजूरी मिलने के आसार हैं। गौरतलब है कि गेहूं के निर्यात पर लगे प्रतिबंध के बावजूद पिछले साल के दौरान द्विपक्षीय कारोबार की शतरें के तहत सरकार कुछ मात्रा में गेहूं निर्यात को मंजूरी देती रही है। ईजीओएम की पिछले महीने की बैठक में गेहूं निर्यात के लिए जल्द से जल्द नियमावली बनाने का फैसला किया गया।अधिकारी के मुताबिक निर्यात के बारे में फैसला लेने के लिए सचिवों की समिति बनाने को कहा गया है। वाणिज्य मंत्रालय ने पिछले महीने सरकार को निजी कंपनियों को भी गेहूं निर्यात की मंजूरी देने की सिफारिश की थी। जिसे केंद्रीय खाद्य मंत्रालय द्वारा मंजूर किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है। घरलू बाजारों में बढ़ती कीमतों पर नकेल लगाने के लिए फरवरी 2007 में केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। दूसरी ओर मौजूदा दौर में प्रतिबंध हटने के बावजूद निर्यात मांग कम रहने की आशंका जताई जा रही है। अमेरिकी कृषि विभाग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार द्वारा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1080 रुपये प्रति क्विंटल तय करने से वैश्विक बाजारों में यह महंगा पड़ सकता है। लिहाजा इसमें विदेशी बाजरों से मांग निकलने की उम्मीद कम है। (Business Bhaskar)
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