आर. एस. राणा दिल्ली
सीड और ग्वार गम के वायदा और हाजिर बाजार में भाव की फर्राटा रफ्तार और इसे थामने के लिए मार्जिन बढ़ाने का कदम भी तेजी की धारणा को शायद कमजोर नहीं कर पाएगा। अगले साल 2012 में भी इन कमोडिटीज की तेजी का दौर जारी रह सकता है। इस वजह से निवेशकों को तेजी की धारणा मानकर निवेश के बारे में फैसला करना चाहिए। हालांकि थोड़ा करेक्शन आने के बाद लिवाली करना निवेशकों के लिए अच्छी रणनीति साबित हो सकती है।
चालू वित्त वर्ष में ग्वार गम के निर्यात में 36.4' की बढ़ोतरी का अनुमान है। 2010-11 में ग्वार गम का निर्यात 4.03 लाख टन का हुआ था जबकि चालू वित्त वर्ष में 5.50 लाख टन होने का अनुमान है। चालू फसल सीजन में ग्वार का उत्पादन पिछले साल के लगभग बराबर 1.10 से 1.20 करोड़ बोरी रहने का अनुमान है। हालांकि वायदा में ग्वार सीड और ग्वार गम के दाम काफी बढ़ गए हैं और वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने इन दोनों कमोडिटी के अनुबंधों के वायदा कारोबार पर मार्जिन काफी बढ़ा दिया है। साथ ही फसल का आकलन भी एफएमसी कर रहा है। ऐसे में ऊंची कीमतों पर मुनाफावसूली से गिरावट आ सकती है लेकिन भविष्य तेजी का ही है।
टिकू राम गम एंड केमिकल प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर विपिन अग्रवाल ने बताया कि ग्वार गम पाउडर में अमेरिका, चीन और खाड़ी देशों की आयात मांग लगातार बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ग्वार गम पाउडर की कीमतों में महीने भर में 29.3' की तेजी आ चुकी है। 11 नवंबर को इसका भाव 4,800 से 5,800 डॉलर प्रति टन था जबकि इस समय 7,000 से 7,500 डॉलर प्रति टन की दर से सौदे हो रहे हैं। ग्वार गम स्प्लिट के भाव इस दौरान 3,200-3,300 डॉलर से बढ़कर 4,000-4,050 डॉलर प्रति टन हो गए। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ग्वार गम पाउडर के निर्यात में भारी मांग बनी हुई है। क्रूड तेल की ड्रिलिंग में मांग ज्यादा मांग होने से ग्वार गम पाउडर का निर्यात लगातार बढ़ रहा है। मांग बढऩे के कारण ही अप्रैल से जून के दौरान निर्यात बढ़कर 145,258 टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 73,918 टन का निर्यात हुआ था। वित्त वर्ष 2010-11 में ग्वार गम का निर्यात 84 फीसदी बढ़कर कुल निर्यात 4.03 लाख टन रहा था। जबकि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में ग्वार गम का निर्यात बढ़कर 5.50 लाख टन से ज्यादा होने का अनुमान है। हिंदुस्तान गम एंड केमिकल लिमिटेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू फसल सीजन में ग्वार का उत्पादन पिछले साल के लगभग बराबर ही 1.10 से 1.20 करोड़ बोरी (एक क्विंटल) होने का अनुमान है। अक्टूबर से दिसंबर तक ग्वार की आवक का पीक सीजन होता है लेकिन कीमतों में तेजी के कारण इस दौरान आवक कम रही है। ग्वार का प्लांट डिलीवरी भाव बढ़कर 7,100 से 7,200 रु. और गम का भाव 23,400 से 23,500 रु. प्रति क्विंटल हो गया। 11 नवंबर को ग्वार का प्लांट डिलीवरी भाव 5,000 से 5,100 रुपये और गम का भाव 16,000 रुपये प्रति क्विंटल था।
एनसीडीईएक्स पर दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध में जिन निवेशकों ने जून में निवेश किया था उन्हें ग्वार में 115' और ग्वार गम में 122' का रिटर्न मिला है। एनसीडीईएक्स पर दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध में दस जून को ग्वार का भाव 3,342 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि 27 दिसंबर को जनवरी अनुबंध में इसका भाव 7,029 रुपये क्विंटल हो गया। ग्वार गम का भाव इस दौरान 10,650 रुपये से बढ़कर 23,330 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। इनके वायदा अनुबंधों पर मार्जिन बढऩे के कारण कारोबारी सत्र के दौरान गिरावट आई लेकिन बाद में तेजी लौट आई। कर्वी कॉमट्रेड की एनालिस्ट शिखा मित्तल का कहना है कि अगले साल अगस्त तक नई फसल नहीं आएगी, जबकि अमेरिका समेत कई देशों से लगातार मांग बनी रहने की संभावना है। इस वजह से ग्वार गम और ग्वार सीड में तेजी का रुख बने रहने की संभावना है। ग्वार गम 25000 रुपये और ग्वार सीड 7500 रुपये प्रति क्विटंल तक जाने की संभावना है।(Business Bhaskar....R S Rana)
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