तैयारीअंतर-मंत्रालय समिति में चर्चा के बाद खाद्य मंत्रालय ने कैबिनेट को भेजा मसौदाखाद्य सुरक्षा की गारंटी देने वाले विधेयक के इसी सत्र में आने की पूरी संभावनाखाद्य सुरक्षा विधेयक पर कैबिनेट में चर्चा शीघ्र ही होने की उम्मीददेश की तकरीबन दो तिहाई आबादी को सस्ता अनाज मुहैया कराने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक पर तैयार कैबिनेट नोट को खाद्य मंत्रालय ने केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेज दिया है। सूत्रों का कहना है कि कैबिनेट इस विधेयक पर जल्द ही चर्चा कर सकती है क्योंकि यूपीए सरकार इसे संसद के चालू शीतकालीन सत्र में ही पेश करना चाहती है। प्रस्तावित विधेयक से सरकारी राजकोष पर बतौर खाद्य सब्सिडी 94,973 करोड़ रुपये का सालाना बोझ पड़ेगा।
सूत्रों का कहना है कि इस विधेयक पर अंतर-मंत्रालय समिति 1 दिसंबर को चर्चा कर चुकी है और इसे कैबिनेट को भेज दिया गया है। सूत्रों ने यह भी बताया कि रियायती खाद्यान्न का कानूनी हक लोगों को मिल जाने से सरकार दो लक्ष्यों को पूरा कर पाएगी। एक तो गरीबों को खाद्य सुरक्षा का उत्तरदायित्व पूरा होगा। दूसरा, वर्ष 2015 तक गरीबी उन्मूलन को लेकर संयुक्त राष्ट्र की ओर से तय किए गए सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य को भी हासिल किया जा सकेगा। इससे पहले जुलाई में खाद्य पर मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बिल के मसौदे को मंजूरी दे दी थी।
सूत्रों कहना है कि प्रस्तावित बिल से खाद्य सब्सिडी का खर्च मौजूदा 67,310 करोड़ रुपये से बढ़कर 94,973 करोड़ रुपये सालाना हो जाएगा। इस विधेयक के तहत राशन कार्ड परिवार की सबसे बड़ी महिला सदस्य के नाम दिया जाएगा। गरीब परिवार (बीपीएल) के प्रत्येक सदस्य को 7 किलो चावल 3 रुपये प्रति किलो, गेहूं 2 रुपये प्रति किलो और मोटा अनाज एक रुपये प्रति किलो के हिसाब से दिया जाएगा। गरीबी रेखा से ऊपर (एपीएल) के परिवारों को हर महीने तीन किलो खाद्यान्न न्यूनतम समर्थन मूल्य से आधी कीमत पर दिया जाएगा। (Business Bhaskar)
06 दिसंबर 2011
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