असफलता- संकट से उबरने के प्रयासों पर निवेशकों को भरोसा नहींनरमी का लाभ:- कॉपर की कीमतों में गिरावट का फायदा चीन को मिल रहा है। चीन की ओर से नई औद्योगिक मांग निकल रही है। चीन में शनिवार को पेश किए आंकड़ों के अनुसार, कॉपर का आयात नवंबर में 17.9 फीसदी बढ़कर 4,52,022 टन हो गया।यूरोप में आर्थिक एकीकरण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन इससे निवेशकों में भरोसा पैदा नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि न्यूयॉर्क कमोडिटी एक्सचेंज (नायमेक्स), लंदन मेटल एक्सचेंज (एल एमई) और शंघाई कमोडिटी एक्सचेंज में बेस मेटल्स में गिरावट दर्ज की गई।नायमैक्स में क्रूड ऑयल जनवरी की डिलीवरी १.६६ डॉलर गिरकर ९७.७५ डॉलर प्रति बैरल रह गए जबकि ब्रैंट १.६२ डॉलर गिरकर १०७ डॉलर प्रति बैरल रह गए।
एल एमई में तीन महीने की कॉपर डिलीवरी 2.24 फीसदी गिरकर 7,640 डॉलर प्रति टन रह गए। सोमवार को कारोबारी सत्र की शुरुआत में यह गिरकर 7,617.25 डॉलर प्रति टन तक गिरकर चला गया था। कॉपर में 30 नवंबर 2011 के बाद सर्वाधिक गिरावट दर्ज की गई। नायमेक्स में कॉपर तीन महीने की डिलीवरी 2.38 फीसदी गिरकर 346.60 डॉलर प्रति पाउंड रह गए।शंघाई में कॉपर तीन महीने की डिलीवरी 22.06 युआन गिरकर 444.70 युआन प्रति टन के स्तर पर पहुंच गया।
लंदन में एल्यूमीनियम तीन महीने की डिलीवरी 1.84 फीसदी गिरकर 2,027 डॉलर प्रति टन रह गए। वहीं शंघाई कमोडिटी एक्सचेंज में 17.94 युआन गिरकर एल्यूमीनियम की तीन महीने की डिलीवरी के भाव 2,470 युआन प्रति टन रह गए।
यूरोप में कर्ज का संकट गहराता जा रहा है और इसके लिए किए जा रहे उपाय पर्याप्त नहीं जो निवेशकों में भरोसा पैदा कर सकें। मेरिल लिंच के विश्लेषक माइकल विडूर का कहना है कि अमेरिका अर्थव्यवस्था की चाल लंबे समय से सुस्त पड़ गई है और यूरोप में लगातार कर्ज का संकट बना हुआ है जिससे मेटल्स में गिरावट दर्ज की गई।
कॉपर की कीमतों में गिरावट का फायदा चीन को मिल रहा है। चीन की ओर से नई औद्योगिक मांग निकल रही है। चीन में शनिवार को पेश किए आंकड़ों के अनुसार, कॉपर का आयात नवंबर में 17.9 फीसदी बढ़कर 4,52,022 टन हो गया। (Business Bhaskar)
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