मुंबई December 12, 2011
हीरा कारोबार को बढ़ावा देने के लिए अरबों रुपये की लागत से बना भारत डायमंड बोर्स (बीडीबी) अभी तक कारोबारियों की पहली पसंद नहीं बन पाया है। कई समस्याओं के बावजूद अभी भी हीरा कारोबारियों के दिलो-दिमाग में ओपेरा हाउस का इलाका ही बसा हुआ है। कारोबारियों की दिलचस्पी के कारण इस इलाके में प्रॉपर्टी की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं जबकि बांद्रा कुर्ला कॉम्लेक्स (बीकेसी) में बीडीबी की कीमतों में गिरावट दर्ज की जा रही है।हीरा कारोबार के गढ़ ओपेरा हाउस के प्रसाद चैंबर में हाल में कुछ फ्लैटों (दफ्तर) की बिक्री ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हीरा कारोबारियों की पसंद बीडीबी नहीं बल्कि ओपेरा हाउस है। रियल एस्टेट में मंदी की वजह से चारों ओर कीमतें कम हो रही हैं या फिर स्थिर हैं, लेकिन इस इलाके में कारोबारियों की भारी मांग की वजह से कीमतें पिछले साल के मुकाबले करीब 25-30 फीसदी बढ़ गई हैं। प्रसाद चैंंबर की पहली मंजिल पर 700 वर्ग फुट के एक दफ्तर का सौदा 63,500 रुपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से हुआ, जबकि तीसरी मंजिल में 300 वर्ग फुट का दफ्तर 70 हजार रुपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से बेचा गया है। पंचरत्ना बिल्डिंग की 17वीं मंजिल में 900 वर्ग फुट के भी एक दफ्तर का सौदा होने वाला है, जिसकी कीमत 70 हजार रुपये प्रति वर्ग फुट मांगी जा रही है जबकि कारोबारियों ने इसकी कीमत 65 हजार रुपये प्रति वर्ग फुट लगा रखी है। जानकारों की राय में इसका सौदा 70 हजार रुपये प्रति वर्ग फुट के आसपास होना मुमकिन है क्योंकि इस इलाके में दफ्तर मिलना मुश्किल होता है। हीरा कारोबार का प्रमुख गढ़ होने की वजह से कारोबारी किसी भी कीमत पर दफ्तर खरीदने के लिए तैयार हो जाते हैं। दूसरी ओर आधुनिक सुविधाओं से लैस बीडीबी मंदी का शिकार होने लगा है। बीडीबी में चार महीने पहले दफ्तरों की कीमत 70 हजार रुपये प्रति वर्ग फुट थी जो इस समय गिरकर 54 हजार रुपये प्रति वर्ग फुट पर आ गई है। प्रसाद चैंबर के सचिव सतीश शाह कहते हैं कि कारोबारियों की मांग की वजह से कीमतें बढ़ रही हैं। नए दफ्तर नहीं बन रहे हैं। इसीलिए अगर कोई कंपनी पुराना दफ्तर बेचती है तो उसे खरीदने के लिए 10 लोग लाइन में खड़े हो जाते हैं। जिन लोगों ने अपने दफ्तर की बिक्री है, वे छोटे हीरा कारोबारी हैं, जो मंदी की वजह से सौदा कर रहे हैं। छोटे और मध्यम कारोबार करने वाले कारोबारी बीकेसी नहीं जाना चाहते हैं क्योंकि वह महंगा पड़ रहा है। ओपेरा हाउस इलाके के लगभग सभी बिल्डिगों में रखरखाव शुल्क कम है, जबकि बीडीबी में 30-40 रुपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से यह शुल्क देना पड़ता है। लोकल टे्रन की कनेक्टिविटी भी एक बड़ा मुद्दा है। हीरा कारोबार के जानकार हार्दिक हुंडिया कहते हैं कि हीरा कारोबारियों के बीच प्रसाद चैंंबर, पंचरत्ना व ओपेरा हाउस के दूसरे चैंंबरों में दफ्तर खरीदने की ललक कम नहीं हुई है। इसकी बड़ी वजह इस इलाके में पहले से जमा जमाया कारोबार है और दूसरी बात बीकेसी में असुरक्षा जैसी भावनाएं कारोबारियों को यहां से बाहर निकलने नहीं दे रही हैं।ओपेरा हाउस की करीब 13 बिल्डिगों में हीरा कारोबार होता है, जिन्हें देश के सबसे बड़े हीरा बाजार के रूप में जाना जाता है। जुलाई में प्रसाद चैंंबर के पास हुए बम धामके के बाद माना जा रहा था कि यह कारोबार बीकेसी के बीडीबी में शिफ्ट हो जाएगा और यहां कीमतें घटने लगेंगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। नाइन डायमंड के चेयरमैन संजय शाह कहते हैं कि बीकेसी में परविहन एक बड़ी समस्या है। दूसरी बात यह इलाका शाम 6 बजे बाद एकदम सुनसान हो जाता है, जिससे बाहर से आने वाले डायमंड ब्रोकर वहां नहीं जाना चाहते हैं और कारोबारियों को भी डर सताता है कि बांद्रा से बीकेसी जाने पर उनके जान माल का खतरा रहेगा। ओपेरा हाउस चर्नी रोड स्टेशन के पास है जिससे गुजरात या मुंबई के दूसरे हिस्सों से आने वाले कारोबारी, दलाल और ग्राहक आसानी से यहां आ जाते हैं। बढ़ सकता है किरायादफ्तरों की कीमत बढऩे के साथ ही यहां के दफ्तरों का किराया भी बढऩे वाला है। रियल एस्टेट एंजेटों और कारोबारियों की मानी जाए तो जनवरी से यहां के दफ्तरों का किराया 25 से 30 फीसदी बढ़ा दिया जाएगा। इस समय यहां दफ्तरों का किराया हर महीने 300 रुपये से 500 रुपये प्रति वर्ग फुट देना होता है, जो जनवरी से बढ़कर 400 रुपये से 700 रुपये प्रति वर्ग फुट तक पहुंच सकता है। दूसरी तरफ बीडीबी में दफ्तरों की बुकिंग तो हो गई है, लेकिन अभी तक महज 27 हीरा कंपनियों ने ही यहां से कारोबार शुरू किया है। किराये पर दफ्तर लेने वालों का तो पूरी तरह अकाल है। (BS Hindi)
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