मुंबई December 15, 2011
खाद्य व उपभोक्ता मामलों पर गठित संसद की स्थायी समिति प्रस्तावित फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट रेग्युलेशन ऐक्ट (एफसीआरए) संशोधन विधेयक 2010 पर अपनी रिपोर्ट मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश करने के लिए तैयार है। समिति की बैठक में सम्मिलित होने वाले एक सूत्र ने कहा - हमने अपनी सुनवाई पूरी कर ली है और अंतिम सिफारिशों की बाबत फैसला कर लिया गया है।एक ओर जहां समिति ने सेबी की तर्ज पर वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) को पूर्ण स्वायत्तता देने पर सहमति जताई है, वहीं इसने आवश्यक जिंसों में वायदा कारोबार की अनुमति दिए जाने के पक्ष में अपनी राय दी है। सूत्रों ने कहा - आवश्यक जिंसों में वायदा कारोबार की अनुमति दिए जाने के मसले पर संसद में जोरदार बहस हो सकती है, बावजूद इसके हमने तार्किक फैसला लिया है, जो इस क्षेत्र के सभी हितधारकों और विशेषज्ञों से हुई बातचीत व तथ्यों पर आधारित है। संयोग से आवश्यक वस्तुओं में वायदा कारोबार शुरू करने की अनुमति दिए जाने के मुद्दे पर सदस्यों के बीच पहले काफी मतभेद था। उन्होंने कहा - आवश्यक जिंसों की कीमतों में उतारचढ़ाव जिंस बाजारों की गतिविधियों के समानांतर हो रहा है और इसके बीच किसी तरह का जुड़ाव नहीं है। उन्होंने कहा कि चीनी व गेहूं के मामले में यह साबित हो चुका है।रिपोर्ट के मुताबिक, एफएमसी को पूर्ण स्वायत्तता दी जाएगी। इसके जरिए एफएमसी खुद नियुक्तियां कर पाएगा। साथ ही सरकारी कैडर या बाजार में मौजूद कर्मचारियों की नियुक्ति का फैसले ले सकेगा और इन कर्मचारियों के वेतन का ढांचा बाजार आधारित होगा और यह एफएमसी ग्रेड के दायरे में भी होगा। यह जिंस बाजारों में नए उत्पादों मसलन ऑप्शन व फ्यूचर पेश कर पाएगा और शिकायत आदि का भी निपटारा कर सकेगा। इसके अलावा सरकार के साथ अनिवार्य रूप से संपर्क किए बिना बाजार के लिए दिशानिर्देश तय कर सकेगा। अपने खर्चों को पूरा करने के लिए एफएमसी के पास अपना कोष होगा और इस तरह से हर तरह के खर्च के लिए इसे सरकार पर आश्रित होने की दरकार नहीं पड़ेगी।इसके अतिरिक्त समिति ने डब्बा कारोबार समेत वायदा बाजार में गलत काम करने वालों से अर्थदंड या जुर्माने वसूलने का अधिकार भी एफएमसी को देने का प्रस्ताव किया है। एफएमसी के चेयरमैन व बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति पर फैसला करने के मामले में खाद्य व उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय नोडल एजेंसी होगा और इससे पहले वह मंत्रालयों से इस बाबत नामांकन का अनुरोध करेगा और ये चीजें कैबिनेट की सहमति से होंगी। फिलहाल यह काम कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग के पास है और खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की भूमिका अपने विचार व सिफारिशें पेश करने तक सीमित है।प्रस्तावित संशोधन पर समिति को सबसे पहले अपनी रिपोर्ट संसद को सौंपनी होगी और फिर संसद इसे खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को भेजेगा। खाद्य व उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय इस विधेयक के संबंध में प्रशासनिक मंत्रालय है और विधेयक की जांच व सिफारिशों के लिए इस विधेयक को उसके पास भेजा जाएगा। इसके बाद सिफारिशों पर अंतिम मंजूरी के लिए कैबिनेट के सामने रिपोर्ट पेश की जाएगी और यहां से हरी झंडी मिलने के बाद संसद की मंजूरी हासिल की जाएगी।आधिकारिक सूत्र ने कहा कि इस विधेयक से किसान समेत विभिन्न हितधारकों को बेहतर कीमतें हासिल करने व कीमतों से जुड़ी जोखिम का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी। वायदा अनुबंध विनियमन अधिनियम 1952 में निम्न संशोधन का प्रस्ताव है - 1. मौजूदा परिभाषाओं को अद्यतन करना और नई परिभाषाएं शामिल करना। 2. एफएमसी के कामकाज व संगठन से जुड़े विभिन्न प्रावधानों में बदलाव। 3. एफएमसी की शक्तियों में इजाफा करना। 4. मौजूदा जिंस एक्सचेंजों का निगमीकरण करना और अलग क्लियरिंग कॉरपोरेशन की स्थापना करना। 5. जिंसों या जिंस डेरिवेटिव में ऑप्शन कारोबार की अनुमति देना। 6. एफसीआरए के लिए अपीलीय ट्रिब्यूनल के तौर पर सिक्योरिटीज अपीलीय ट्रिब्यूनल (एसएटी) को नामित करना। (BS Hindi)
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