चिंतन - इस्मा की 77वीं वार्षिक आम बैठक में उद्योगों के हालात में चर्चाचीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने पर विचार किया जाएगा : थॉमस
उद्योग का तर्ककिसानों, उपभोक्ताओं और उद्योग के हितों के लिए चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त किया जाना जरूरी है। सरकार को चीनी के कोटे को समाप्त कर देना चाहिए तथा चीनी बेचने का अधिकार मिलों को होना चाहिए। सरकार को पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण की कीमतों का फार्मूला डॉ. सुमित्रा चौधरी कमेटी की सिफारिशें के आधार पर लागू कर देना चाहिए।सरकार चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने पर विचार करेगी। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) की 77वीं वार्षिक आम बैठक में खाद्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. के. वी. थॉमस ने कहा कि उद्योग से जुड़े सभी पक्षों किसानों, चीनी मिलों और राज्य सरकारों से इस मुद्दे पर राय ली जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि ओजीएल में और चीनी के निर्यात का फैसला सरकार जनवरी में करेगी।
उन्होंने कहा कि चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने के लिए सभी संबंधित पक्षों की राय के बाद ही कोई कदम उठाया जाएगा तथा इस संबंध में संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होने के बाद वित्तमंत्री से भी विचार-विमर्श किया जाएगा। चीनी के और निर्यात पर फैसला जनवरी में किया जाएगा। उद्योग को राहत देने के लिए सरकार ने हाल ही में ओपन जरनल लाइसेंस (ओजीएल) के तहत 10 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी थी।
साथ ही चीनी पर लगी स्टॉक लिमिट को हटा लिया था। उन्होंने कहा कि चालू पेराई सीजन में कुछ राज्य सरकारों ने गन्ने के परामर्श मूल्य में बढ़ोतरी की है जबकि चीनी के दाम इसकी तुलना में नहीं बढ़े हैं इससे चीनी मिलों की उत्पादन लागत बढ़ गई है। चालू पेराई सीजन में सरकार का उत्पादन अनुमान 246 लाख टन का है।
इस अवसर पर इस्मा के अध्यक्ष नरेंद्र मुरकुम्बी ने कहा कि किसानों, उपभोक्ताओं और उद्योग के हितों के लिए चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त किया जाना जरूरी है। पेराई सीजन 2011-12 में चीनी का उत्पादन बढ़कर 260 लाख टन होने का अनुमान है। जबकि देश में चीनी की सालाना खपत 220 लाख टन की होती है।
इसलिए सरकार को और चीनी निर्यात की अनुमति दे देनी चाहिए। चीनी उद्योग सीधे किसानों से जुड़ा हुआ है लेकिन चीनी का निर्यात हो, गन्ने की खरीद हो या फिर बिक्री, लेवी चीनी की मात्रा तथा स्टॉक आदि सब पर सरकार का नियंत्रण है।
उन्होंने कहा कि सरकार को महीने के आधार पर रिलीज किए जाने वाले चीनी के कोटे को समाप्त कर देना चाहिए तथा चीनी बेचने का अधिकार मिलों को होना चाहिए। सरकार को 10 फीसदी लेवी चीनी, जिसका उपयोग सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में आवंटन के लिए किया जाता है, की अनिवार्यता को भी समाप्त कर देना चाहिए। साथ ही सरकार को पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण की कीमतों का फार्मूला डॉ. सुमित्रा चौधरी कमेटी की सिफारिशें के आधार पर लागू कर देना चाहिए। (Business Bhaskar....R S Rana)
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