बिजनेस भास्कर दिल्ली
खाद्य सुरक्षा बिल को मंत्रिमंडल ने पारित कर दिया है तथा अब इसे संसद की मंजूरी के लिए सदन में पेश किया जायेगा। लेकिन प्रस्तावित बिल में अभी भी कई खामियां मौजूद है। इस बिल में सामान्य और प्राथमिकता समूह के विभाजन के आधार को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है। इसके अलावा इस बिल में सालाना खाद्य सब्सिडी में जो बढ़ोतरी की बात कही गई है असल में बढ़ोतरी उससे कई गुना ज्यादा होने की संभावना है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रस्तावित बिल में सामान्य और प्राथमिक श्रेणी के परिवार के विभाजन के आधार को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है। इस बिल में सरकार ने सामान्य और प्राथमिक श्रेणी के परिवारों को सस्ते खाद्यान्न का कानूनी हक तो देने की बात कही है लेकिन ये स्पष्ट नहीं है कि वर्तमान में लाभ लेने वाले परिवारों को ही ये हक मिलेगा या फिर नए सिरे से सामान्य और प्राथमिक परिवारों की पहचान की जाएगी।
उन्होंने बताया कि इस समय देश के 6.52 करोड़ परिवारों को सरकार गरीबी रेखा से नीचे (प्राथमिक) और 11.5 करोड़ परिवारों को (सामान्य) श्रेणी के आधार पर सस्ता खाद्यान्न उपलब्ध करवा रही है। एक परिवार पांच सदस्यों को आधार मानें तो इस समय सरकार कुल जनसंख्या की करीब 75 फीसदी जनता को सस्ता अनाज मुहैया करवा रही है। जबकि प्रस्तावित बिल में देश की 64 फीसदी जनता को सस्ता खाद्यान्न उपलब्ध कराने की बात है।
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. टी हक ने बताया कि सामान्य और प्राथमिकता वाले परिवारों का आधार क्या होगा, इसको प्रस्तावित बिल में स्पष्ट नहीं किया है। मंत्रिमंडल ने खाद्य सुरक्षा विधेयक को मंजूरी तो दे दी, लेकिन इसे लागू करने से पहले जो आधारभूत ढ़ांचा तैयार करना चाहिए उस पर सरकार ने कुछ नहीं किया है। राज्यों में खाद्यान्न के रख-रखाव और वितरण में आने वाले दिक्कतों को दूर करने के लिए सरकार कोई पहल नहीं कर रही है। ऐसे में लगता है कि सरकार कि मंशा सिर्फ चुनाव में इसका फायदा उठाना है।
इस विधेयक से सरकारी खजाने पर 27,663 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार बढऩे की बात कही गई है। लेकिन असल में भार इससे ज्यादा का होगा। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने आईसीडीएस कार्यक्रम के लिए 35,000 करोड़ रुपये मांग की है जोकि खाद्य सुरक्षा योजना का ही भाग है। इसके अलावा भिखारियों, बेघर और आपदा से प्रभावित लोगों को भोजन देने के लिए लगभग 8,920 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है जबकि प्रशासनिक खर्च करीब 1,000 करोड़ रुपये और अनाजों की परिवहन लागत 8,300 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। ऐसे में प्रस्तावित बिल पास होने के बाद कुल खाद्य सब्सिडी बढ़कर करीब 2,00,000 रुपये होने का अनुमान है। जबकि अतिरिक्त खाद्यान्न की खरीद के लिए राशि अलग से होगी। (Business Bhaskar.....R S Rana)
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