नई दिल्ली December 05, 2011
बहुब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का रास्ता अभी पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार नीतियों, सहयोगी दलों और विपक्ष के बीच तालमेल के जरिये विकल्प की संभावनाएं भी तलाशने में जुटी है। सरकार मसले का हल निकालने के लिए एक नई नीति पर काम कर रही है। इसके तहत बहुब्रांड रिटेल में एफडीआई को 51 फीसदी से कम कर 26 या 49 फीसदी किया जा सकता है। हालांकि कैबिनेट ने 10 दिन पहले ही बहुब्रांड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई की मंजूरी दी है।राजनीतिक दबाव को देखते हुए बुधवार को संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले सरकार ने 9 बजे सुबह सर्वदलीय बैठक बुलाई है। बैठक के बाद सरकार की ओर से सदन में बहुब्रांड रिटेल एफडीआई की नीति को आम सहमति बनने तक टालने की घोषणा की जा सकती है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सोमवार को नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज और माकपा नेता सीताराम येचुरी को बताया कि सरकार रिटेल एफडीआई नीति को फिलहाल रोक सकती है। बहुब्रांड रिटेल में एफडीआई की सीमा 26 या 49 फीसदी करने के पीछे यह तर्क बताया जा सकता है कि स्टोरों का नियंत्रण भारतीयों के हाथों में ही रहेगा। भारतीय जनता पार्टी भी पहले कह चुकी है कि एफडीआई की अनुमति चरणबद्घ तरीके से दी जा सकती है।एक रिटेल कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि विदेशी कंपनियां भारतीय बाजार में आने को उत्सुक हैं और वे एफडीआई के संशोधित विकल्प भी अपना सकती हैं। उन्होंने कहा कि एफडीआई की सीमा बाद में बढ़ाई जा सकती है। हालांकि एक अन्य रिटेल कंपनी के अधिकारी ने कहा कि एफडीआई में किसी तरह के बदलाव का विदेशी रिटेलरों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, जो लंबे समय से भारत में आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इसके जरिये खुद की छवि दुरुस्त करने में जुटी है।बुधवार को वित्त मंत्री के बयान के बाद उम्मीद है कि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल सके। इस बीच भारतीय जनता पार्टी आंतरिक बैठक करने की तैयारी में है ताकि सरकार के किसी भी कदम का समुचित जवाब दिया जा सके। इस मसले पर भाजपा का रुख यह है कि जब तक सरकार एफडीआई नीति को वापस नहीं लेती है तब तक सदन की कार्यवाही बाधित रहेगी। हालांकि भाजपा के सूत्रों ने कहा कि सरकार के इस कदम पर सहमति बना सकती है क्योंकि इसे भाजपा कुछ हद तक अपनी जीत बता सकती है।सरकार के प्रबंधकों का कहना है कि प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में नहीं डाला जाएगा बल्कि नीति में थोड़ा बदलाव कर सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी। भारतीयों के हाथों में कमान रहने पर सहमति बनने की उम्मीद है। इसके साथ ही यह भी अनिवार्य किया जा सकता है कि विदेशी कंपनियां पैसा तो लाएंगी और अपने ब्रांड बेचेगी लेकिन खुद के ब्रांड नाम को नहीं दिखा सकेंगी। यानी भारती-वॉलमार्ट स्टोर में केवल भारती का नाम हो सकता है। इन स्टोरों को यह भी सुनिश्चित करने को कहा जा सकता है कि कुल बिक्री का कुछ हिस्सा छोटे किराना स्टोरों को किया जाए। यही नहीं, छोटे और मझोले उद्योगों से 30 फीसदी उत्पादों की खरीद नीति को कायम रखते हुए छोटे-मझोले स्टोर का आकार 2.5 लाख डॉलर किया जा सकता है। अभी यह सीमा 10 लाख डॉलर है।लुढ़के रिटेल शेयरबहुब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति पर फिलहाल रोक लगाए जाने की खबर से रिटेल कंपनियों के शेयरों में गिरावट का रुख देखा गया। बंबई स्टॉक एक्सचेंज में सोमवार को किशोर बियाणी प्रवर्तित पैंटालून रिटेल का शेयर 12.86 फीसदी की गिरावट के साथ 186.40 रुपये पर बंद हुआ। विशाल रिटेल, कुटन्स और ट्रेंट के शेयरों में भी करीब 3 से 7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। (BS Hindi)
06 दिसंबर 2011
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