कपड़ा सचिव रीता मेनन कपड़ा क्षेत्र को नई ऊंचाई पर ले जाने की खातिर रोडमैप तैयार करने में व्यस्त हैं। नयनिमा बसु को दिए साक्षात्कार में मेनन ने विस्तार से बताया कि वह रोडमैप अपने उत्तराधिकारी के लिए तैयार कर रही हैं क्योंकि 31 दिसंबर को वह सेवानिवृत्त हो जाएंगी। पेश हैं मुख्य अंश : / December 15, 2011
एक अप्रैल से लागू पुनर्गठित तकनीकी उन्नयन कोष योजना उद्योग को उत्साहित करने में नाकाम रही है। इस बारे में आपकी क्या राय है?मेरे विचार से इसकी लोकप्रियता में कमी नहीं आई है। लेकिन अप्रैल के बाद से उद्योग के लिए यह साल असाधारण मुश्किलों भरा रहा है। कपास की कीमतें काफी ऊपर चली गई थीं और अब अचानक धराशायी हो गई हैं। वैश्विक मांग पूरी तरह समाप्त हो गई है। ऐसे में सितंबर तक धागे का भंडार, कपास के भंडार की उच्च लागत आदि को देखते हुए मुझे लगता है कि शुरुआती दौर में टीयूएफएस में थोड़ी सुस्ती नजर आई है। हम इसकी निगरानी कर रहे हैं और इस साल आवंटित 1972 करोड़ रुपये की सब्सिडी के लक्ष्य को देखते हुए कहा जा सकता है कि धीरे-धीरे यह रफ्तार पकड़ेगी। आपने हाल ही कपड़ा क्षेत्र द्वारा लिए गए कर्ज के पुनर्गठन को लेकर बैंकों के साथ बैठक की थी। इस दिशा में कब तक कदम उठाए जा सकते हैं?यह कार्य जारी है। पुनर्वर्गीकरण की औपचारिक स्वीकृति के लिए हम इस मुद्देे को अगले कुछ दिनों में भारतीय रिजर्व बैंक के पास ले जाएंगे, जिससे कर्ज मानक परिसंपत्तियां बने रहें न कि गैर निष्पादित परिसंपत्तियां बन जाएं। वास्तव में यह उद्योग के लिए कठिन समय है। हम चाह रहे हैं कि बैंक ऋणों को 1-2 साल स्थगित कर दें, जिसके दौरान उद्योग ब्याज चुकाता रहे और मूलधन को स्थगित कर दिया जाए। हम यह सतर्कता भी बरत रहे हैं कि सरकार का खर्च ना बढ़े। हम टीयूएफएस और अन्य योजनाओं को बंद करेंगे। इसलिए ऐसा नहीं है कि उद्योग को ज्यादा पैसा मिलेगा। राष्ट्रीय फाइबर नीति के बारे में आपका क्या कहना है? जैसा कि आपने कहा है कि यह 12वीं पंचवर्षीय योजना शुरू होने के बाद अस्तित्व में आएगी। जहां तक उद्योग की विकास दर का सवाल है, यह नीति उसी दिशा में आगे बढऩे का खाका पेश करता है। लंबी अवधि में हम फाइबर में तटस्थता हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि विभिन्न विभागों के कर, शुल्क व अप्रत्यक्ष कर से जुड़ी उम्मीदें हैं। मंत्रालय ने इसे आगे बढ़ा दिया है और वित्त विधेयक पर चर्चा के समय औपचारिक रूप से इन हस्तक्षेपों पर साल दर साल के हिसाब से हम बातचीत कर रहे हैं। अन्य सभी योजनाएं 12वीं योजना के साथ धरातल पर होंगी। नीतिगत ढांचा तैयार है और सिर्फ बजट आवंटन का कम रह गया है, ताकि हम ताजा निवेश, परियोजनाओं व कार्यक्रमों से जुड़े कुछ निश्चित लक्ष्य हासिल कर सकें। इनमें अल्पावधि व लंबी अवधि की योजनाएं हैं और इन्हें हमने 12वीं पंचवर्षीय योजना के साथ पंक्तिबद्ध किया है। आप कितनी रकम के आवंटन की मांग कर रहे हैं?हम कौशल विकास, हैंडलूम क्षेत्र को प्रोत्साहन देने पर बड़ी रकम खर्च करेंगे। साथ ही बुनकरों को सब्सिडी और ब्याज छूट के रूप में दिए जा रहे लाभों को देने की योजना बनाई है। हम टेक्सटाइल पार्क के विकास पर ध्यान दे रहे हैं, जिनकी भारी मांग है। तकनीकी कपड़ों के क्षेत्र में भी अच्छी प्रगति हो रही है। जूट और रेशम उद्योग में हस्तक्षेप की हमारी बड़ी योजना है। तिरुपुर को फिर से उबारने के लिए ध्यान दिया जा रहा है। इसलिए 12वीं पंचवर्षीय योजना में हमने 50,000 करोड़ के आवंटन का आग्रह किया है।तिरुपुर (तमिलनाडु) में संकुल के पुनरुद्धार के लिए आपकी अध्यक्षता वाली समिति क्या कदम उठा रही है? हम तकनीकी और भविष्य की योजना के बारे में तमिलनाडु सरकार का समर्थन मांग रहे हैं। हम उन्हें एक 20 सीईटीपी (कॉमन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट) बनाने के लिए कहेंगे, जिससे कपड़ा इकाइयों को बंद नहीं करना पड़े। हम चाहते हैं कि राज्य सरकार मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष उपस्थित हो। सीईपीटी के निर्माण के लिए निवेश करने को केंद्र प्रतिबद्ध है, लेकिन इसके लिए राज्य सरकारों की तरफ से भी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। इस साल कपास की कीमतों में अभूतपूर्व गिरावट रही है, क्या आप निर्यातकों को प्रोत्साहन देने पर विचार करेंगी?नहीं, हम निर्यातकों को किसी तरह का प्रोत्साहन नहीं दे रहे हैं। हमारा मानना है कि इसे खुले सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) के तहत रखना ही अपने आप में प्रोत्साहन है। इस समय कपास की कीमतें ठीकठाक हैं, ये न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे नहीं आई हैं। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें