मुंबई December 29, 2011 |
उद्योगों की तरफ से कमजोर खरीद के चलते मुंबई के जवेरी बाजार में चांदी 10 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई। खुदरा निवेशकों को डर है कि अगर रुपया मजबूत हुआ तो चांदी की कीमतें नीचे आ सकती हैं, लिहाजा उन्होंने ताजा खरीद से परहेज किया।
गुरुवार को स्थानीय हाजिर बाजार में शुरुआती कारोबार के दौरान चांदी 49,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक नीचे आ गई। कीमतों का यह स्तर इस साल 18 फरवरी के बाद नहीं देखा गया था। बाद में हालांकि चांदी में सुधार हुआ और यह 49,140 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर मार्च में डिलिवरी वाली चांदी 48,903 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई, जो एक दिन पहले के मुकाबले 3.42 फीसदी कम है। सत्र के दौरान चांदी 48,562 रुपये प्रति किलोग्राम के निचले स्तर पर चली गई थी। एमसीएक्स पर चांदी के अनुबंध में पिछले चार दिनों से ओपन इंटरेस्ट बढ़ रहा है। 24 दिसंबर को ओपन इंटरेस्ट 523320 लॉट का था, जो 28 दिसंबर को बढ़कर 594740 लॉट पर पहुंच गया। केडिया कमोडिटीज के अजय केडिया ने कहा - बढ़ते ओपन इंटरेस्ट से पता चलता है कि कीमतों में और गिरावट की उम्मीद में कारोबारी चांदी में शॉर्ट पोजिशन बना रहे हैं।
देसी बाजार में चांदी वैश्विक बाजार में आई गिरावट के अनुरूप ही गिरी, जो लंदन में शुरुआती कारोबार के दौरान एक साल के निचले स्तर पर आ गई थी। कारोबार के दौरान लंदन में चांदी 13 महीने के निचले स्तर को छू गई थी और 26.46 डॉलर प्रति आउंस तक लुढ़की थी, जो 17 नवंबर 2010 के बाद का निचला स्तर है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि यूरो जोन के कर्ज संकट ने क्रेडिट को धीमा कर दिया और निवेशकों को डॉलर समेत सुरक्षित संपत्ति का रुख करने के लिए उत्साहित किया।
बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन के निदेशक सुरेश हुंडिया ने कहा - हाजिर कारोबारी रुपये के हिसाब से चांदी में और गिरावट का अनुमान जता रहे हैं, लिहाजा वे खरीदारी से फिलहाल परहेज कर रहे हैं। पिछले एक साल के दौरान रुपये में आई भारी गिरावट के चलते वैश्विक बाजार में चांदी में आई नरमी का पूरा फायदा भारतीय रुपये पर पूरी तरह प्रतिबिंबित नहीं हुआ है। ऐसे में खुदरा खरीदार आरबीआई के कदमों का इंतजार कर रहे हैं, जो कीमतों को और नीचे ला सकते हैं।
नाकोडा बुलियन के प्रोप्राइटर ललित जगावत ने कहा - ग्राहक चांदी की कीमतें 44,000-45,000 रुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में आने का इंतजार कर रहे हैं, जो तभी संभव है जब रुपया अपने मौजूदा स्तर से और आगे बढऩा शुरू करे। जब तक वैश्विक विनिर्माण क्षेत्र में सुधार नहीं आता, चांदी में और गिरावट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
इस साल डॉलर के मुकाबले रुपया करीब 20 फीसदी लुढ़का है, जिसकी वजह से भारत रुपये में धातु की कीमतें ऊपर रहीं। यूरो जोन के कर्ज संकट के संभावित समाधान के तौर पर यूरो मेंं मजबूती की उम्मीद धुंधली हो गई है। दुनिया के सबसे बड़े धातु उपभोक्ता चीन में विनिर्माण गतिविधियां दिसंबर में और थमने का अनुमान है, जो बताता है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था साल 2011 की समाप्ति कमजोरी के साथ करेगी।
सिल्वर एंपोरियम के प्रबंध निदेशक राहुल मेहता के मुताबिक, शेयर बाजार व मुद्रा बाजार आदि में हुए नुकसान की भरपाई के लिए कारोबारी चांदी में मुनाफावसूली कर रहे हैं, जिसकी वजह से कीमती धातुओं की कीमतें नीचे आ रही हैं। डॉलर की मजबूती के चलते धातुओं पर दबाव बने रहने की संभावना है।
मौजूदा समय में सोने-चांदी के कारोबारी आयात लागत के मुकाबले 500-600 रुपये प्रति किलोग्राम के डिस्काउंट पर चांदी की बिकवाली कर रहे हैं, ताकि ग्राहकों को आकर्षित किया जा सके। इस बीच, सोने-चांदी की कीमतों के अनुपात से संकेत मिलता है कि चांदी कमजोर हुई है और तेज गिरावट से चांदी में और कमजोरी आ सकती है। केडिया कमोडिटीज के अजय केडिया ने कहा कि 1 दिसंबर को यह अनुपात 51.70 था, जो मौजूदा समय में 57.31 पर पहुंच गया है और इससे पहले हफ्ते की शुरुआत में यह 58.15 के उच्चस्तर पर पहुंच गया था। इससे संकेत मिलता है कि सोने के मुकाबले चांदी में कमजोरी रहेगी। जल्द ही यह अनुपात 60 पर पहुंच सकता है।
हाजिर सोने ने भी चांदी की तरह कदम बढ़ाया और इसमें 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई और यह 26,570 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। एक दिन पहले यह 27,415 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। (BS Hindi)
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