आर.एस. राणा नई दिल्ल
फरमान - सरकार ने दलहन आयात के लिए सब्सिडी बजट बढ़ाने के बजाय घटायाउपभोक्ताओं को दस रुपये प्रति किलो रियायत वाली दाल वितरण की योजनाबजट बढ़ाने की जरूरत क्योंचालू वित्त वर्ष में पीडीएस के तहत आवंटित की जाने वाली दालों के लिए सरकार ने 200 करोड़ रुपये आवंटन का प्रावधान किया था। जबकि मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में दालों की कीमतों में आई तेजी और रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती के आधार पर 100 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन की मांग की थी।सस्ती दालों का आयातसार्वजनिक कंपनियों के जरिये पांच लाख टन दालों का आयात करने का लक्ष्य तय किया गया था। लेकिन चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों के दौरान सार्वजनिक कंपनियों ने मात्र 1.75 लाख टन दलहन आयात के ही सौदे किए हैं जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 45.7 फीसदी कम है।एक तरफ जहां सरकार देश की 65 फीसदी जनता को सस्ता खाद्यान्न देने के लिए प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा अधिनियम को पास कराने के लिए सहयोगियों के साथ ही विपक्षी दलों को भी मनाने में जुटी हुई है। वहीं, दूसरी तरफ सरकार ने गरीबों को राशन की दुकानों के जरिये दी जाने वाली रियायती दालों के बजट आवंटन में 50 करोड़ रुपये की कटौती कर दी है। ऐसे में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत वितरित होने वाली दालों का वितरण प्रभावित होने की आशंका है।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में पीडीएस के तहत आवंटित की जाने वाली दालों के लिए सरकार ने 200 करोड़ रुपये आवंटन का प्रावधान किया था। जबकि मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में दालों की कीमतों में आई तेजी और रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती के आधार पर 100 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन की मांग की थी। लेकिन केंद्र सरकार ने संशोधित बजट अनुमान में आवंटन 50 करोड़ रुपये घटाकर 150 करोड़ रुपये कर दिया है।
इसका असर सार्वजनिक कंपनियों द्वारा किए जा रहे दलहन आयात पर भी देखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष में उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने सार्वजनिक कंपनियों के माध्यम से पांच लाख टन दालों का आयात करने का लक्ष्य तय किया था। लेकिन चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले आठ महीनों (अप्रैल से नवंबर) के दौरान सार्वजनिक कंपनियों ने मात्र 1.75 लाख टन दलहन आयात के ही सौदे किए हैं जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 45.7 फीसदी कम है।
पिछले वित्त वर्ष 2010-11 के अप्रैल से नवंबर के दौरान सार्वजनिक कंपनियों ने 3.04 लाख टन दलहन आयात के सौदे किए थे। उन्होंने बताया कि पीडीएस में आवंटन के लिए दालों का आयात सार्वजनिक कंपनियों एमएमटीसी, एसटीसी, पीईसी और नेफेड के माध्यम से किया जा रहा है। केंद्र सरकार आयातित दालों पर 10 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी सार्वजनिक कंपनियों को प्रदान करती है।
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अक्टूबर तक देश में कुल 16.59 लाख टन दालों का आयात हो चुका है तथा दलहन आयात में सबसे बड़ी भागीदारी प्राइवेट आयातकों की ही है। कृषि मंत्रालय के चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2010-11 में देश में दालों का रिकॉर्ड 180.9 लाख टन का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल 146.6 लाख टन का उत्पादन हुआ था। जबकि देश में दलहन की सालाना खपत 185 से 195 लाख टन की होती है।(Business Bhaskar.....R S Rana)
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