मुंबई December 09, 2011
उत्पादन लागत और चीनी की मौजूदा एक्स-फैक्ट्री बिक्री कीमत के बीच बढ़ते अंतर से चीनी उत्पादन के मामले में दूसरे सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों को इस सीजन में 220 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महासचिव अविनाश वर्मा ने कहा - राज्य प्रशासित कीमत (सैप) में संशोधन के बाद मौजूदा समय में चीनी की एक्स-फैक्ट्री कीमत 30.5 रुपये प्रति किलोग्राम है जबकि लागत 33 रुपये प्रति किलोग्राम। ऐसे में चीनी उत्पादन के हर किलोग्राम पर मिलों को 2.5 रुपये का नुकसान हो रहा है।103 लाख टन गन्ने की पेराई के बाद उत्तर प्रदेश में मिलों का कुल उत्पादन 8.5 लाख टन रहा है। इस सीजन में रिकवरी की औसत दर 8.2 फीसदी रही है। वर्मा ने कहा - नुकसान की एकमात्र वजह सैप में हुई भारी बढ़ोतरी है। उन्होंने कहा कि गन्ने की पेराई के साथ ही राज्य की चीनी मिलों की वित्तीय हालत खराब होती जा रही है। इस स्थिति में उद्योग बिना वित्तीय समर्थन के लंबी अवधि तक मिलों का संचालन नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा कि चीनी मिलों के हितों की रक्षा के लिए नीतिगत हस्तक्षेप की दरकार है।चीनी उत्पादन का 10 फीसदी हिस्सा 18 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से लेवी कोटा में देने के चलते उनका नुकसान बढ़ रहा है। चीनी की यह कीमत उत्पादन लागत की करीब आधी है।इस साल भी सरकार ने सैप में करीब 20 फीसदी की बढ़ोतरी की है, इसके परिणामस्वरूप बीमार चीनी मिलों पर वित्तीय बोझ काफी ज्यादा बढ़ा है। सामान्य किस्म के गन्ने की राज्य प्रशासित कीमत में 35 रुपये की बढ़ोतरी की गई है और यह 240 रुपये पर पहुंच गया है। राज्य में गन्ने के कुल उत्पादन में इस किस्म की हिस्सेदारी 60 फीसदी से ज्यादा है। गन्ने की अगैती किस्म और अस्वीकार की गई गन्ने की किस्म का उत्पादन 20-20 फीसदी है। अस्वीकार की गई गन्ने की किस्म भी इस साल 235 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिक रही है, जो पिछले साल के मुकाबले 35 रुपये ज्यादा है। वहीं अगैती किस्म के गन्ने की लागत इस साल 240 रुपये प्रति क्विंटल है, जो पिछले साल के मुकाबले 40 रुपये ज्यादा है।वर्मा ने कहा - गन्ने की कीमत में भारी बढ़ोतरी और अन्य लागत में हुई सामान्य बढ़ोतरी से इस साल उत्तर प्रदेश में उत्पादन लागत 33-34 रुपये प्रति किलोग्राम रहने का अनुमान है, वहीं महाराषष्ट्र में यह 29-30 रुपये प्रति किलोग्राम रहने की संभावना है। ऐसे में इन स्तरों पर एक्स-मिल कीमतों को स्थिर करने की अनुमति सरकार को देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे कम पर मिलों को नुकसान होगा और जनवरी 2012 में गन्ने की बकाया राशि में बढ़ोतरी हो जाएगी।इस्मा के मुताबिक, इस साल 30 नवंबर तक करीब 350 मिलें संचालित थीं, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 355 मिलों का संचालन हो रहा था। 30 नवंबर तक उत्तर प्रदेश ने चीनी उत्पादन में भारी उछाल दर्ज की है और यह 5.30 लाख टन पर पहुंच गया है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 1.83 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था क्योंकि राज्य में पेराई तेजी से शुरू हुई है।उद्योग के एक अधिकारी ने कहा - अगर मिलों को मौजूदा कीमत पर गन्ने की पेराई के लिए बाध्य किया जाता है तो उनकी कार्यशील पूंजी धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी और इसमें महज दो महीने का वक्त लगेगा। उन्होंने कहा कि किसानों का गन्ना बकाया इस साल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाएगा।इस बीच, उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों द्वारा दायर याचिका की सुनवाई अब 13 दिसंबर को होगी। (BS Hindi)
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