नई दिल्लीः सोने के पंखों को विराम लग गया है। उसकी तेजी पर अब ब्रेक लग गया है और ऐसा लग रहा है कि आने वाले समय में इसकी कीमतें और नीचे जाएंगी। सोने के दाम बढ़ाने में चीन का बड़ा हाथ था और इसे नीचे ले जाने में भी उसका ही हाथ होगा।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार के चिन्ह आते ही सोने के दाम जो सितंबर में ऐतिहासिक ऊंचाई पर चले गए थे, नीचे आने लगे हैं। अब सोने के दाम एक ऐसे स्तर पर आ गए हैं जो उसे खरीदारी के उपयुक्त बना रहे हैं। पिछले दिनों सोने के दाम बेतहाशा बढ़ने से असली खरीदार मैदान छोड़कर चले गए थे और सिर्फ सटोरिये कारोबार कर रहे थे। सोने की कीमतों को ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचाने का श्रेय इंटरनेशनल सटोरियों का है जो कई देशों में ऑपरेट कर रहे हैं।
लेकिन समस्या असली ग्राहकों के भाग जाने से खड़ी हो गई। सोने के खरीदार कम होते जा रहे हैं क्योंकि सोने का गहने बनाने के अलावा कोई बड़ा इस्तेमाल नहीं है। सिर्फ निवेश के लिए सोना खरीदने के पीछे कोई औचित्य नहीं है। सोने का महत्व बढ़ तो गया लेकिन कोई सही उपयोग नहीं हो पा रहा है।
अब दुनिया के सबसे बड़े खरीदार चीन ने अपने यहां सोने की खरीद-बिक्री पर रोक लगाना शुरू कर दिया है। वहां की सरकार ने वहां गोल्ड एक्सचेंज बंद करने शुरू कर दिए हैं। चीन में गोल्ड एक्सचेंज कुकुरमुत्ते की तरह उग आए हैं और लोगों को सोने में पैसे लगाने का आग्रह कर रहे हैं। वहां के रिजर्व बैंक ने एक नोटिस जारी करके कहा है कि पूरे देश में सिर्फ दो गोल्ड एक्सचेंज ही रहेंगे। शेष सभी को बंद किया जा रहा है। चीनी जनता इन दिनों सोने में खूब पैसा लगा रही है। लोग फ्यूचर ट्रेडिंग जुए की तरह कर रहे हैं। वहां की सरकार अब नहीं चाहती कि लोग सोने में ज्यादा पैसा लगाएं।
डॉलर के मजूबत होने से सोने के प्रति निवेशकों का मोह भंग होता जा रहा है और समझा जाता है कि सोना अभी कुछ दिनों तक और गिरेगा। (BS Hindi)
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