नई दिल्ली
उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने कमोडिटीज के वायदा कारोबार पर 0.003 फीसदी स्टाम्प शुल्क लगाने के वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव का विरोध किया है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस समय कुछ राज्यों में कमोडिटी के वायदा कारोबार पर स्टाम्प शुल्क शून्य है तथा कई राज्यों में इसकी दर काफी कम है। इसलिए हमने वित्त मंत्रालय से मांग की है कि वर्तमान स्थिति को ही बरकरार रखा जाए। वित्त मंत्रालय ने एक करोड़ रुपये के कारोबार पर 300 रुपये स्टांप ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव किया है। अधिकारी ने बताया कि कमोडिटीज के वायदा कारोबार पर स्टाम्प शुल्क लगाने का अधिकार राज्य सरकारों को है। राज्यों ने जिंसों पर वैट व अन्य टैक्स लगाए हुए हैं, ऐसे में अगर कमोडिटीज के वायदा कारोबार पर स्टांप शुल्क को 0.003 फीसदी कर दिया गया तो इससे जिंसों के दाम और बढ़ जाएंगे। इस समय कई राज्यों में तो कमोडिटीज के वायदा कारोबार पर स्टांप शुल्क है ही नहीं जबकि दिल्ली में कमोडिटीज के वायदा कारोबार पर केवल 0.001 फीसदी स्टांप शुल्क है। कमोडिटीज के वायदा कारोबार पर 0.003 फीसदी स्टाम्प शुल्क लगाने का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय का है। इसके तहत एक करोड़ रुपये के कारोबार पर 300 रुपये स्टांप शुल्क लगाने की सिफारिश की गई है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय जिंस वायदा बाजार के लिए नीतियां बनाता है जबकि वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) देश के 23 जिंस एक्सचेंजों के परिचालन पर निगाह रखता है। उन्होंने बताया कि एफएमसी के साथ ही देश के पांच बड़े कमोडिटी एक्सचेंजों ने भी इसका विरोध किया है। चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले छह महीनों अप्रैल से सितंबर के दौरान कमोडिटी एक्सचेंजों का कारोबार 79 फीसदी बढ़ा है। एफएमसी के अनुसार पहली अप्रैल से 11 सितंबर तक एक्सचेंजों का कारोबार बढ़कर 92,61,052 करोड़ रुपये का हो गया। जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका कारोबार 52,72,550 करोड़ रुपये का था। इस दौरान एग्री जिंसों का कारोबार बढ़कर 6,30,909.74 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि एग्री केटेगरी की अखाद्य जिंसों का (जैसे ग्वार सीड, केस्टरसीड, मेंथा ऑयल, ग्वार गम, कपास और रबर आदि) का कारोबार बढ़कर 3,01,882.80 करोड़ रुपये का हुआ है। इस दौरान कारोबार में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी सोना, चांदी और प्लेटिनम के वायदा कारोबार में हुई है। (Business Bhaskar...R S Rana)
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