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08 अप्रैल 2009

कॉपर की मौजूदा तेजी रुकने के आसार कम

कॉपर की कीमतों में चालू सप्ताह के दौरान बढ़त देखी गई। इस महीने लंदन मेटल एक्सचेंज में कॉपर का भाव करीब दस फीसदी बढ़ चुके है। वहीं, इस सप्ताह सोमवार को यह भारी बढ़त के साथ करीब 4,459 डॉलर प्रति टन पर कारोबार किया। जो पिछले पांच महीनों का उच्चतम स्तर है। हालांकि जानकारों का मानना है कि कॉपर की मौजूदा तेजी टिकाऊ नहीं है और आने वाले दिनों में इसमें तेज गिरावट देखी जा सकती है। बर्कले कैपिटल द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दिनों चीन में कॉपर की सरकारी खरीद और दुनिया भर के शेयर बाजारों में तेजी से कॉपर की कीमतों को मजबूती मिली है। ये फंडामेंटल्स कारोबार के लिहाज से मजबूत नहीं माने जा सकते हैं। लिहाजा आने वाले दिनों में कॉपर की मजबूती को सहारा मिलने की गुंजाइश कम है। इंडस्ट्री कंस्लटेंसी फर्म सीआरयू की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक चालू साल के दौरान चीन में कॉपर की मांग करीब 15-20 फीसदी घट सकती है। उल्लेखनीय है कि कॉपर की वैव्श्रिक कीमतों में चीन की मांग की अहम भूमिका होती है। सरकार पहले से ही यहां कॉपर का भंडार बना चुकी है। मांग निकलने पर सरकारी कॉपर सस्ते दरों पर उपलब्ध रहेगी। लिहाजा आने वाले दिनों में इसमें तेजी के आसार नहीं है। मौजूदा हालात में अमेरिका, यूरोप, आस्ट्रेलिया और जापान कॉपर की बिल्कुल खरीददारी नहीं कर रहे हैं। ऐसे में चिली जो कॉपर का प्रमुख उत्पादक देश है, अपना जून तक का स्टॉक चीन को बेच चुका है। वहीं यूरोपीय और अमेरिकी उत्पादक भी अपने उत्पादों को चीन में ही खपाए हैं। सस्ते आयात की वजह से चीन के कई उत्पादकों को उत्पादन बंद करना पड़ा है। इन्हें सहारा देने के लिए सरकार को करीब तीन लाख टन कॉपर की खरीद करनी पड़ी है। ऐसे में चीन में इस समय कॉपर का पर्याप्त भंडार है जबकि दूसर देशों में मांग की कोई तस्वीर स्पाष्ट नहीं है। वैव्श्रिक स्तर पर औद्योगिक गतिविधियां ठप होने से इस समय कॉपर की शिपमेंट भी बेहद कम हो रही है। इस दौरान भारत में भी औद्योगिक गतिविधियां शांत हैं। लोक सभा चुनाव की वजह से कई प्रस्तावित सरकारी परियोजनाओं पर भी मई के बाद ही काम होने की संभावना है। (Business Bhaskar)

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