01 अप्रैल 2009
बौर से लदे आम के पेड़ों को बारिश से भारी नुकसान
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में हुई बारिश की वजह से आम की फसल को नुकसान हो सकता हैं। राज्य के आम उत्पादक क्षेत्रों में बारिश के कारण आम के जिन पेडों में छोटे-छोटे फल आने लगे हैं, उनमें कीडा लगने का डर पैदा हो गया है। इन कीडों को खत्म करने के लिए कीटनाशक दवाएं खरीदने के लिए किसानों का खर्च बढ़ गया है। उत्तर प्रदेश बागवानी बोर्ड के उद्यान विशेषज्ञ भानुप्रकाश राम ने बिजनेस भास्कर को बताया कि बीते दिनों हुई बारिश की वजह से आम के पेड़ों में मैंगो हार्पर (भुनका ) नामक कीडा लगने के कारण आम की फसल को नुकसान हो सकता हैं। दरअसल भुनका पत्तियों या फलों का रस चूस लेता हैं। उनका कहना है कि इन दिनों अधिकतर आम के पेड़ों में छोटे आकार के फल आने लगे हैं। यदि किसानों ने एक सप्ताह के भीतर इन कीड़ों को खत्म करने के लिए कीटनाशक दवाओं जैसे क्यूनोलोफास, डायमेथोएट आदि का छिड़काव नहीं किया तो फसल को भारी नुकसान हो सकता है। वहीं ऑल इंडिया मैंगो ग्रोअर एसोसिएशन के अध्यक्ष इंसराम अली ने बताया कि बारिश होने की वजह से कीड़ों को खत्म करने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव करना जरूरी हो गया। जिससे किसानों की लागत बढ़ गई । उनका कहना है कि चालू फसल सीजन में पिछले साल अधिक बारिश होने की वजह से बौर भी कम आई है। इंसराम अली बताते हैं कि पिछले साल भी अधिक बारिश होने के कारण किसानों को काफी नुकसान हुआ था। महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में भी फरवरी महीने में बारिश होने की वजह से आम की प्रसिद्ध किस्म अल्फांसों की फसल को काफी नुकसान हो चुका है। केलासी परिसर अंबा उत्पादक सोयायटी रत्नागिरी के अध्यक्ष शरद परांजपे ने बताया कि इस बार मौसम में उतार-चढ़ाव और बारिश होने की वजह से बोर के दौरान फंगस लगने से रत्नागिरि में आम की पैदावार 30 फीसदी तक घट सकती है। अल्फांसों आम को बाजार में आए हुए एक माह हो चुका है। इन दिनों इसके भाव 800-1200 रुपये प्रति पेटी(12 किलो) चल रहे हैं।देश में सबसे पहले दक्षिण भारत से आम की फसल आती है।उसके बाद महाराष्ट्र से आम की सप्लाई होने लगती है। इसके बाद उत्तर भारत से जून-जुलाई से आम की सप्लाई होने लगती है। लेकिन इस बार मई अंत में फसल आने की संभावना है। भारत में वर्ष 2007-08 में 137.92 लाख टन आम की पैदावार हुई थी। जिसमें उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 32.56 लाख टन, गुजरात 9.3 लाख और महाराष्ट्र की 7.1 लाख की हिस्सेदारी है। जबकि वर्ष 2006-07 में इन राज्यों में क्रमश: 29.80 लाख, 8.34 लाख, 6.46 लाख टन पैदावार हुई। दिल्ली की मंडियों में आम की सप्लाई उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से अधिक की जाती है। (Business Bhaskar)
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