मुंबई 3 31, 2009
इस साल लौह अयस्क की कीमतों में उछाल आने की संभावना नहीं क्योंकि दुनिया के बड़े देशों मसलन चीन, जापान और यूरोपीय संघ के देशों से मांग बहुत कम आ रही है।
इसके अलावा दुनियाभर में लौह अयस्क धातु के अतिरिक्त भंडार भी मौजूद है। इसी वजह से लौह अयस्क भविष्य भारतीय लौह अयस्क उत्पादकों को ऐसा लग रहा है कि निर्यात बाजार से ज्यादा प्राप्तियां नहीं हो पाएगी।
लौह अयस्क का उत्पादन करने वाली देश की एक बड़ी निजी कंपनी एमएसपीएल लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक राहुल बालडोटा का कहना है, 'हम स्टील की मांग बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं। इसकी वजह से ही कच्चे माल जिसमें लौह अयस्क भी शामिल है उसकी मांग में इजाफा होगा। लेकिन बाजार धारणा में अगले एक महीने तक भी सुधार नहीं हो सकता है।'
लौह अयस्क की कीमतों में पिछले छह महीने में 60 फीसदी तक की गिरावट हुई है और यह 80 डॉलर प्रति टन से कम होकर 50 डॉलर प्रति टन हो गया है। इसकी वजह यह है कि भारत सबसे ज्यादा लौह अयस्क का निर्यात चीन को करता है लेकिन वर्ष 2008 की चौथी तिमाही में चीन ने स्टील के उत्पादन में 12 फीसदी की कटौती की है।
भारत चीन को जो निर्यात करता है उसका 90 फीसदी हिस्सा कम लौह तत्व वाले अयस्क का होता है। इसके अलावा जापान और यूरोपीय संघ के देशों ने भी स्टील के उत्पादन में क्रमश: 14 फीसदी और 25 फीसदी तक की कमी की है।
वर्ष 2008 के फरवरी महीने में लौह अयस्क की कीमतें अपने उच्चतम 220 डॉलर पर थी लेकिन अब देश के हाजिर भाव में 80 फीसदी तक की कमी आ चुकी है। इस साल की शुरुआत में कीमतों तेजी दिखने को जरूर मिली लेकिन उसके बाद हाजिर भाव में गिरावट आनी शुरू हो गई।
इस बीच ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील की लौह अयस्क उत्पादनकर्ता कंपनियां सिया वेल डो रियो डोस, बीएचपी बिलिटन लिमिटेड और रियो टिंटो समूह ने छूट के विकल्पों के साथ चीन के खननकर्ता के साथ बातचीत शुरू की है। विश्लेषकों को यह उम्मीद है कि दुनिया के तीन बड़े लौह अयस्क उत्पादक अपने चीनी खरीदारों के लिए छूट जैसी प्रतियोगिता की होड़ कर सकते हैं।
सिटीग्रुप की एक रिर्पोट की मानें तो स्टील बनाने में काम आने वाले कच्चे माल की बेंचमार्क अनुबंध की कीमतें जो फिलहाल 88 डॉलर प्रति टन (600 युवान) है उसमें दो सालों में गिरावट आ सकती है। लौह अयस्क के खननकर्ता और स्टील निर्माताओं के बीच वित्तीय वर्ष 2009-10 के लिए सालाना बेंचमार्क अनुबंध की कीमतों के संदर्भ में बातचीत हो रही है।
बालडोटा का कहना है, 'भारतीय लौह अयस्क हाजिर भाव के लिहाज से बेचे जाते हैं और भेजे गए माल के हिसाब से कीमतों में भी फर्क आता है।' अब बदली हुई परिस्थितियों के लिहाज से भारतीय खननकर्ता लंबे समय का अनुबंध करने के लिए ख्वाहिशमंद नहीं होंगे क्योंकि आने वाले दिनों में उन्हें ज्यादा कीमतें मिलने की उम्मीद होगी।
हाल के सिटीग्रुप की जिंस रिर्पोट की मानें तो चीनी लौह अयस्क के आयात में मांग के मुकाबले कमी आई और भंडार में बढ़ोतरी हुई। गोवा स्थित एक खननकर्ता और निर्यातक, एच एल नाथुरमल ऐंड कंपनी के सीईओ हरेश मेलवानी का कहना है, 'हाल ही में चनी के प्रतिनिधिमंडल ने 55 फीसदी लौह तत्व मिले हुए लौह अयस्क की कीमतें 28 डॉलर प्रति टन करने की बात कही जिसके लिए मना कर दिया गया था। जब तक आयातक हमारी कीमतों के मुताबिक भुगतान नहीं करेंगे तो निर्यात में दिक्कतें आएंगी ही।'
गोवा मिनरल ओर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के सेक्रेटरी ग्लेन कलावामपरा का कहना है, 'चीन से कुल खरीद बहुत कम हो रही है और उम्मीद है कि कुछ और महीने ऐसी ही स्थिति बनी रहेगी। ऐसे में गोवा से लौह अयस्क का निर्यात अगले महीने भी मंद रहेगा।
मौजूदा वित्तीय वर्ष में गोवा और गैर-गोवा लौह अयस्क का कुल निर्यात इस राज्य से पिछले साल की ही तरह इस साल भी 3.95 करोड़ टन तक ही रहने की उम्मीद है।' वैश्विक लौह अयस्क के निर्यात में वर्ष 2009 में 6.7 फीसदी और 2012 में 30 फीसदी होने की उम्मीद है। (BS Hindi)
02 अप्रैल 2009
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