01 अप्रैल 2009
महंगी रबर से बढ़ेंगे टायर के भाव
कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी और उत्पादन में कमी से चालू माह में नेचुरल रबर की कीमतों में लगभग 22 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है। इसके साथ ही खपत वाले क्षेत्रों में मांग बढ़ी है और वैश्विक बाजार में भी रबर के भाव बढ़े हैं जिससे घरेलू कारोबार प्रभावित हो रहा है। उत्पादक क्षेत्रों में गर्मी पड़ने से अप्रैल में भी चूंकि उत्पादन घटने की आशंका है। ऐसे में नेचुरल रबर की मौजूदा कीमतों में सुधार जारी रह सकता है।कोटयम के रबर व्यापारी सुभाष जैन ने बताया कि कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी का असर नेचुरल रबर की कीमतों पर पड़ा है। इस समय कच्चे तेल के भाव बढ़कर 51 डॉलर प्रति बैरल हो गये जबकि फरवरी के मध्य में इसके दाम 40 डॉलर प्रति बैरल थे। आरएसएस-4 रबर की कीमतें 28 फरवरी को कोटयम में 69 रुपये प्रति किलो थी जबकि सोमवार को इसकी कीमतें बढ़कर 84 रुपये प्रति किलो हो गई। इस दौरान आरएसएस-5 रबर के भाव भी 67 रुपये से बढ़कर 82 रुपये प्रति किलो हो गये। 2008 में कच्चे तेल की कीमतें बढ़कर 147 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी जिससे घरेलू बाजार में आरएसएस-4 नेचुरल रबर के भाव बढ़कर 142 रुपये प्रति किलो के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गए थे। रबर बोर्ड के सूत्रों के अनुसार उत्पादन में 16 फीसदी की कमी आकर कुल उत्पादन 47,000 टन का ही हुआ है।पिछले साल की समान अवधि में इसका उत्पादन 54,520 टन का हुआ था। हालांकि चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से फरवरी तक देश में नेचुरल रबर का कुल उत्पादन 814,505 टन का हुआ है जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में इसका उत्पादन 778,095 टन का हुआ था। फरवरी महीने में नेचुरल रबर की खपत 67,000 टन की ही हुई है जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में इसकी खपत 73,870 टन की हुई थी। 9 फरवरी को नेचुरल रबर का कुल स्टॉक बढ़कर 224,600 टन का हो गया जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका स्टॉक 198,000 टन का था। अंतरराष्ट्रीय रबर स्टडी सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल विश्व में रबर की खपत में करीब 3.3 फीसदी की गिरावट आ सकती है।उधर, लुधियाना के टायर ट्यूब उद्योग ने पहली अप्रैल से टायर व टयूब को 10 फीसदी महंगा करने का फैसला किया है। चालू वित्त वर्ष में तकरीबन 400 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाली राल्सन इंडस्ट्री के एमडी संजीव पाहवा के मुताबिक रबड़ की कीमतें बढ़ जाने के चलते कीमतों में इजाफा जरूरी हो गया है। गोबिंद रबड़ के प्रेसिडेंट विपिन आनंद के मुताबिक रबड़ की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी के चलते मौजूदा कीमतों पर व्यवसाय संभव नहीं है। उनके मुताबिक लुधियाना उत्पादन यूनिट से कंपनी वार्षिक 250 से 300 करोड़ रुपये का उत्पादन कर रही है। शहर से वार्षिक 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हो रहा है। रबड़ की कीमतों में पड़ने वाले किसी भी तरह के प्रभाव का सीधा असर चौपहिया वाहनों व अन्य वाहनों की कीमतों पर पड़ता है। नवंबर-दिसंबर फ्क्क्8 में प्राकृतिक रबड़ की कीमतें 5500 रुपये क्विंटल तक रह गई थी। इस दौरान मांग न होने के चलते कंपनियों ने टायर ट्यूब की कीमतों में 20 फीसदी तक कमी कर दी थी। अब रबड़ की कीमतें 8200 से 8400 रुपये क्विंटल तक पहुंच गई हैं। (Business Bhaskar....R S Rana)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें