मुंबई April 13, 2009
इस सप्ताह के दौरान चीन द्वारा सरकारी खरीद योजना के तहत तांबे की कीमतें बढ़ सकती हैं।
सरकारी राहत पैकेज के तहत चीन ने 40 खरब युआन का राहत पैकेज दिया है, जिससे वे अपने धातुओं के स्टाक को कम कीमतों पर खरीदकर बढ़ा सकते हैं।
हाल के महीनों में चीन ने मूल धातुओं के स्टॉक में बढ़ोतरी की है, जिससे आधारभूत ढांचा परियोजना के तहत मांग को पूरा किया जा सके और इससे धातुओं की वैश्विक कीमतों में मजबूती आ सकती है।
रिपोर्टों के मुताबिक जनवरी और फरवरी के दो महीनों के दौरान ही इस क्षेत्र में निवेश में 26.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वैश्विक मंदी से बचाव के लिए चीन ने सड़कों, रेलवे औैर पॉवर ग्रिड के क्षेत्र में निवेश किया है। इन क्षेत्रों में धातुओं की खपत बहुत ज्यादा होती है।
मार्च महीने में तांबे और तांबे के उत्पाद का चीन में किए जाने वाले आयात में बढ़ोतरी हुई है। इस साल के मार्च महीने में देश में स्क्रैप का आयाज 330,000 टन हुआ है। मार्च 2008 के दौरान 539,733 टन स्क्रैप का आयात हुआ था। पहले के महीने में हुए आयात की तुलना में मार्च में होने वाले आयात में दोगुने से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।
एक विश्लेषक ने कहा कि जहां अन्य देशों के बाजारों में खरीद में कमी आई है, चीन अपने स्टॉक में बढ़ोतरी कर रहा है। चीन, मूल धातुओं की कीमतें कम होने का पूरा लाभ उठा लेना चाहता है। 2008 की शुरुआत में तांबे की कीमतें अब तक के सर्वोच्च स्तर, 8,800 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गईं।
उसके बाद इसकी कीमत गिरकर 3,000 रुपये प्रति टन पर आ गई, लेकिन बाद में कीमतों में थोड़ा सुधार हुआ और 2009 की पहली तिमाही में यह 4465 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया। कीमतों में सुधार होने में चीन की खरीद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एंजल ब्रोकिंग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि तांबे की कीमतों में कुछ समय के लिए उछाल आ सकती है।
लेकिन यह बढ़ोतरी ज्यादा दिनों तक नहीं रहेगी। इसकी प्रमुख वजह यह है कि चीन के औद्योगिक क्षेत्र में अभी भी मांग कम है। चीन द्वारा खरीद की संभावनाओं और शेयर बाजार में सकारात्मक रुख के चलते पिछले सप्ताह के दौरान मूल धातुओं की कीमतों में तेजी का रुख रहा। धातुओं में इस रुख का नेतृत्व तांबे ने किया और उसका अनुकरण कमोवेश सभी धातुओं ने किया। (BS Hindi)
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