03 फ़रवरी 2009
पंजाब में किसानों को आलू की लागत मिलना भी कठिन
बंपर पैदावार के कारण आलू के भाव काफी नीचे आ जाने से किसान बेहाल हो गए हैं। थोक में आलू करीब 100 रुपये क्विंटल और फुटकर पांच रुपये के तीन किलो तक बिक रहे हैं। प्रदेश के आलू उत्पादक किसानों की मानें तो इस बार आलू की लागत भी नहीं निकाल पा रही है। किसान संगठनों ने आलू के लिए न्यनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित करने और ढ़ुलाई पर सब्सिडी देने की मांग की है।भारतीय किसान यूनियन पंजाब के अध्यक्ष एंव पंजाब मंडी बोर्ड के चेयरमैन अजमेर सिंह लक्खोवाल ने कहा कि पंजाब में बंपर फसल के चलते वर्तमान में आलू की जो दुर्दशा हुई है, उससे किसान अपनी लागत भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं। पंजाब की तमाम मंडियों में आलू का भाव 100 रुपये प्रति `िंटल चल रहा है। पंजाब में इस साल 82000 हेक्टेयर में आलू की बुवाई की गई है। राज्य में 18 लाख टन आलू की पैदावार होने की उम्मीद है। लक्खोवाल का कहना है कि पाकिस्तान द्वारा भारत से आलू आयात करने पर सीमा शुल्क लगाए जाने से पंजाब से पाकिस्तान को आलू का आयात ठप हो गया है।पंजाब आलू उत्पादक किसान संघ के अध्यक्ष हरदेव सिंह लाली का कहना है कि इस साल आलू की नई फसल की आवक के समय किसानों को आलू का भाव 500 रुपये प्रति `िंटल था। पिछले एक महीने में ही फसल की आवक बढ़ने से आलू के भाव 500 रुपये प्रति क्ंिवटल से गिरकर 100 रुपये प्रति `िंटल पर आ गए हैं। उन्हांेने पंजाब सरकार से मांग की उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर पंजाब सरकार किसानों को ढ़ुलाई पर होने वाले खर्च में सब्ििसडी दे। करतारपुर के आलू उत्पादक किसान बलदेव सिंह चिमरा का कहना है कि जालंधर मंडी मंे आलू पहुंचाने का खर्च ही इसके भाव से अधिक बैठता है, इसलिए मंडी में आलू पहुंचाने का भी कोई फायदा नहीं है। इस क्षेत्र में अनेक किसानों ने फसल के खेतों में ही ढ़ेर लगा रखे हैं।उत्तर प्रदेश में भी आलू के दामों में आई भारी गिरावट से किसानों को लागत भी नहीं पा रही है। उत्पादक राज्यों में भावों में आई गिरावट के कारण ही आजादपूर थोक मंडी में आलू की कीमतें दो से ढ़ाई रुपये प्रति किलो रह गई। (Business Bhaskar)
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