20 फ़रवरी 2009
पाम तेल सस्ता होने से सब्सिडी का भार घटा
विश्व बाजार में खाद्य तेल के मूल्य तेजी से घटने के कारण केंद्र सरकार का सब्सिडी भार घट रहा है। सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए सब्सिडी के मद में आवंटन मौजूदा वर्ष के मुकाबले 63 फीसदी कम कर दिया है। वित्त वर्ष 2009-10 के लिए खाद्य तेल सब्सिडी घटाकर 200 करोड़ रुपये की गई है जबकि मौजदा वर्ष के लिए आवंटन 540 करोड़ रुपये का था। हालांकि सरकार ने प्रति किलो सब्सिडी 15 रुपये से बढ़ाकर 25 रुपये कर दी थी। बजट में आवंटित सब्सिडी धनराशि से गरीब उपभोक्ताओं को सस्ता खाद्य तेल सुलभ कराया जाएगा। उद्योग के जानकारों के अनुसार विश्व बाजार में क्रूड पाम और सोयाबीन तेल के भाव घटने के कारण सरकार का सब्सिडी भार काफी घट गया। इससे पहले तेल के भाव तेजी से बढ़ने के कारण पिछले साल अप्रैल में सरकार ने क्रूड पाम तेल से आयात शुल्क हटा लिया था। सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार इस समय विश्व बाजार में क्रूड पाम तेल 510 डॉलर प्रति टन के स्तर पर चल रहा है। जबकि पिछले अप्रैल में इसका भाव 1150 डॉलर प्रति टन तक चला गया था। उस समय सोया डीगम तेल 725 डॉलर से बढ़कर 1398 डॉलर प्रति टन तक बढ़ गया था।भारत की खाद्य तेल खपत हर साल करीब 120 लाख टन रहती है। इसमें करीब पचास फीसदी मांग आयातित तेल से पूरी होती है। पिछले साल सरकार ने खाद्य तेल की ऊंची कीमतों को देखते हुए गरीबी रखा से नीचे के परिवारों और अंत्योदय अन्न योजना में गरीबों को राहत देने के लिए 15 रुपये प्रति किलो कम दाम पर खाद्य तेल सुलभ कराने की योजना बनाई थी। योजना के तहत हर गरीब परिवार को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये हर माह एक किलो तेल देने क योजना थी।विदेश व वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह ने बाद में खाद्य सब्सिडी बढ़ाकर 25 रुपये प्रति किलो कर दिया था। दरअसल इस रास्ते से सरकार ने खाद्य तेल आयात करने वाले सार्वजनिक उपक्रम पीईसी, एमएमटीसी, नाफेड और एसटीसी को वित्तीय घाटे से उबारने का कदम उठाया। इन उपक्रमों ने राज्य सरकारों की मांग के अनुसार खाद्य तेल आयात किया। (Business Bhaskar)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें