राजकोट February 26, 2009
गुजरात के लोगों को फल के राजा आम के रसीले और मीठे स्वाद को चखने का मौका इस साल गर्मी में देर से मिलेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य में आम की आवक में 15 से 20 दिनों की देरी हो सकती है।
इसकी वजह यह है कि ठंड के मौसम में अनियमितता से आम की बौर खराब हो गई है। जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय के मुताबिक इस साल ठंड के मौसम में काफी अस्थिरता रही और इसी वजह से आम की बौर खराब हो गए। खासतौर पर गुजरात के सौराष्ट्र के इलाके में आम की किस्म 'केसर' के बौर भी बर्बाद हो गए। जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति बी. के. किकानी का कहना है, 'इस साल गुजरात में आम के लिए ठंड का मौसम उतना अच्छा नहीं था। यह वक्त आम की बौर तैयार होने का समय होता है ऐसे में मौसम ठीक नहीं है ऐसे में नुकसान हो सकता है। इस साल गर्मी में आम की आवक देर से होगी।'
गुजरात में लगभग तीन लाख हेक्टेयर जमीन पर आम की खेती की जाती है। गुजरात राज्य के जूनागढ़, भावनगर, बलसाड, नवसारी, सासन और तलाला गिर, विस्वादर, सवर्णकुंडला और कच्छ कुछ ऐसे इलाके हैं जहां आम की खेती होती है।
पिछले साल तालाला कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी)में 10 लाख आम के बक्से आए, इन बक्सों में हर एक में 10 किलोग्राम आम होता है। इस बाजार समिति में केसर आम की किस्में खासतौर पर मिलती है।
तलाला एपीएमसी के सचिव हरसुखभाई जरसानिया ने किस्मों की बात करते हुए कहा, 'इस साल 10-15 मई तक केसर आम की किस्में बाजार में आनी शुरू हो जाएगी। आमतौर पर यह हर साल मार्च के अंतिम हफ्ते में ही आना शुरू हो जाता है। दरअसल अब आम के पेड़ पर बौर देर से लगेगी। सामान्य हालात में आम की बौर जनवरी के अंतिम हफ्ते और फरवरी के मध्य के बीच आते हैं। लेकिन इस साल इस आम के आने में काफी देरी हो सकती है क्योंकि ठंड का मौसम उतना बढ़िया नहीं था।'
कच्छ के बाटुकसिन्ह जाडेजा का कहना है, 'आम के उत्पादन के बारे में अभी कोई भविष्यवाणी करना संभव नहीं है। लेकिन इस मौसम में आम की आवक में देरी जरूर होगी। मौसम में अब थोड़ी गर्मी आना बेहद जरूरी है। ऐसा नहीं होता है तो खराब मौसम की वजह से कीमतें भी प्रभावित हो सकती हैं।' (BS Hindi)
28 फ़रवरी 2009
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