नई दिल्ली February 20, 2009
कपास बेचने के मामले में सरकार को इस साल भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ घरेलू बाजार में कपास की खपत में आयी कमी के तहत सरकार अब न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी कम कीमत पर कपास बेचने पर विचार कर रही है।
वर्ष 2008-09 के लिए कपास की अधिकतम खरीदारी भारतीय कपास निगम लिमिटेड ने की है। इन दिनों निगम में रोजाना 1,70,000 गाठें कपास की आवक हो रही है। दूसरी तरफ कपास का उत्पादन पूरा हो चुका है और पिछले साल के मुकाबले 25 लाख गांठों (1 गांठ =170 किलोग्राम) की कमी के बावजूद निर्यात में धीमेपन के कारण घरेलू बाजार में इस साल कपास ज्यादा रहेगा।
इस साल 50 लाख गांठ कपास का निर्यात लक्ष्य रखा गया है जो कि पिछले साल के मुकाबले 40 लाख गांठ कम है। साथ ही घरेलू मिलों की खपत भी पिछले साल के मुकाबले कम नजर आ रही है। कपास का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाले चीन व अमेरिका में भी खपत कम होने की संभावना है।
सरकार ने कपास के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए 5 फीसदी का अतिरिक्त लाभांश देने की भी घोषणा की है। पिछले साल कपास का कुल उत्पादन 315 लाख गांठ था जबकि इस साल यह 290 लाख गांठ है। पिछले साल कपास का कुल निर्यात 90 लाख गांठ रहा।
इस साल अधिकतम 50 लाख गांठों के निर्यात का अनुमान है। यानी कि पिछले साल के मुकाबले इस साल घरेलू बाजार में 15 लाख गांठ अधिक कपास मौजूद होंगे। 14 फरवरी को जारी सीसीआई की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अब तक 208 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है।
रिपोर्ट में वर्ष 2008-09 के लिए कपास की कुल खपत में 10 लाख गांठ की कमी आने का अनुमान लगाया गया है। कनफेडरेशन ऑफ टेक्सटाइल इंडस्ट्री के मुताबिक सरकार को हर हाल में कपास की बिक्री न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम स्तर पर करना पड़ेगा।
गत सितंबर में सरकार ने उत्तम श्रेणी के कपास का एमएसपी 2030 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 3000 रुपये कर दिया था और मध्यम श्रेणी के कपास के लिए यह मूल्य 1800 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2500 रुपये कर दिया गया।
अक्टूबर के बाद से मंदी की चपेट में आने के कारण कपड़ा बुनकरों ने इस कीमत पर कपास की खरीदारी करने में अपनी असमर्थता जता दी। लिहाजा सरकारी उपक्रम भारतीय कपास निगम को इस साल कपास की तमाम खरीदारी करनी पड़ी।
कनफेडरेशन ऑफ टेक्सटाइल इंडस्ट्री के पदाधिकारी वीके नायर पूछते हैं, 'सरकार अब किसे बेचेगी। उन्हें हर हाल में कपास की कीमत घटानी पड़ेगी। अब कोई चारा नहीं है।' कपास की कीमत पर छूट देने की पहल निगम की तरफ से शुरू हो चुकी है।
हालांकि अभी यह खुलासा नहीं किया गया है कि छूट कितनी होगी। लेकिन कपड़ा उद्यमियों का कहना है कि सरकार ने थोक स्तर पर कपास खरीदने वालों को छूट की पेशकश करने वाली है। जबकि कपड़ा उद्योग सभी खरीदारों के लिए छूट की मांग कर रहा है।
विभिन्न राज्यों से आवक (लाख गांठ में)
राज्य 2008-09 2007-08पंजाब 15.30 18हरियाणा 12.30 11.50राजस्थान 6.50 7.75गुजरात 53 73.50महाराष्ट्र 50 52.50मध्य प्रदेश 13.75 16.25आंध्र प्रदेश 37 33स्त्रोत - भारतीय कपास निगम (BS Hindi)
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