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21 फ़रवरी 2009

सोने का भाव इन दिनों सातवें आसमान पर है। इस तेजी के कारण सोना खरीदने वाले बहुत कम रह गए हैं। शादी-ब्याह का सीजन होने के बावजूद दुकानों में ग्राहकी साम

ऊंझा मंडी में जीरे की आवक बढ़कर 15 हजार बोरी (एक बोरी 40 किलो) की हो गई है। लेकिन निर्यातकों के साथ-साथ घरेलू मांग अच्छी होने से बेहतर क्वालिटी के जीरे के भाव 100 रुपये बढ़कर 11,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। चालू वर्ष में प्रतिकूल मौसम से जीरे की पैदावार में तो कमी आने की संभावना तो है ही, पिछले साल का बकाया स्टॉक भी काफी कम है। इस समय निर्यातकों के साथ-साथ घरेलू मांग अच्छी बनी हुई है इसीलिए आवक बढ़ने के बावजूद भाव घट नहीं रहे हैं। व्यापारियों के अनुसार चालू वर्ष में जीरे की बुवाई तो पिछले साल से ज्यादा हुई थी लेकिन पहले कोहरे और फिर गर्म हवाओं ने फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में जीरे का प्रति हैक्टेयर उत्पादन घटा है। सामान्यत: जीरे का प्रति हैक्टेयर उत्पादन 300 से 350 किलो होता है। लेकिन प्रतिकूल मौसम से चालू फसल सीजन में जीरे का प्रति हैक्टेयर उत्पादन 200 से 250 किलो प्रति हैक्टेयर रह गया है। ऊंझा मंडी के जीरा व्यापारी पंकज भाई पटेल ने बताया कि पिछले साल देश में जीरे का उत्पादन 26 लाख बोरी रहा था लेकिन चालू वर्ष में इसका उत्पादन घटकर 20 से 21 लाख बोरी ही रहने की संभावना है। जीरे का बकाया स्टॉक भी पांच से साढ़े पांच लाख बोरी का ही बचा है जोकि पिछले साल के मुकाबले करीब आधा है।पिछले वर्ष नई फसल के समय जीरे का बकाया स्टॉक साढ़े दस से ग्यारह लाख बोरी का था। इस समय ऊंझा मंडी में जीरे की दैनिक आवक बढ़कर करीब 15 हजार बोरियों की हो गई है। लेकिन बढ़िया क्वालिटी के जीरे के भावों में शुक्रवार को 100 रुपये की तेजी आकर भाव 11,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। सामान्य क्वालिटी के जीरे के भाव भी 10,000 से 10,500 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। शुक्रवार को भी उत्पादक क्षेत्रों में बादल का मौसम रहा। अगर आगामी दिनों में मौसम खराब रहता है या फिर बारिश हो जाती है तो जीरे की फसल को नुकसान होने से भाव में और भी तेजी आ सकती है।जीरा व्यापारी कुनाल शाह ने बताया कि मार्च में राजस्थान की फसल की आवक शुरू होने के बाद भावों में हल्की गिरावट आ सकती है। हालांकि आगामी दिनों में जीरे में निर्यात मांग कैसी रहती है, इस पर भी भावों की तेजी-मंदी निर्भर करेगी। इस समय निर्यातकों के साथ ही घरेलू मांग भी अच्छी देखी जा रही है।भारतीय मसाला बोर्ड के सूत्रों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से दिसंबर तक देश से जीरे का निर्यात बढ़कर 28,500 टन का हो चुका है। पिछले वर्ष देश से जीरे का निर्यात मात्र 18,850 टन का ही हुआ था। सूत्रों के अनुसार टर्की और सीरिया में जीरे के उत्पादन में आई गिरावट से इसके निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। टर्की और सीरिया में जीरे की नई फसल की आवक जून-जुलाई महीने में बनेगी। (Business Bhaskar.....R S Rana)

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