नई दिल्ली February 27, 2009
खरीफ सत्र के दौरान विभिन्न फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट के कारण चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान कृषि और इससे संबंधित क्षेत्रों के उत्पादन में पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में 2.2 फीसदी कमी दर्ज हुई ।
जबकि वित्त वर्ष 2007-08 की अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही के दौरान कृषि वन और मत्स्यिकी क्षेत्रों में 6.9 फीसदी वृध्दि दर दर्ज हुई थी। केंद्रीय साख्यिकी संस्थान ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृध्दि दर के तिमाही आंकड़े जारी किए।
इन आंकड़ों में कृषि क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के लिए चालू वित्त वर्ष के खरीफ सत्र में मोटे अनाज दाल तिलहन गन्ना और कपास के उत्पादन को जिम्मेदार ठहराया हालांकि चावल के उत्पादन में थोड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई।
सीएसओ ने एक बयान में कहा, '2008-09 के दौरान चावल में 3.4 फीसदी की वृध्दि दर दर्ज हुई जबकि मोटे अनाज के उत्पादन में 13.2 फीसदी की कमी और दालों के उत्पादन में 24.7 फीसदी की कमी दर्ज हुई।'
कृषि क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के बारे में योजना आयोग के सदस्य अभिजीत सेन ने कहा कि यदि आप इस साल के दूसरे उत्पादन अनुमान का पिछले साल के दूसरे अनुमान से मुकाबला करे तो इस वर्ष भी उत्पादन में वृध्दि ही दिखेगी।
इस क्षेत्र की मौजूदा वृध्दि दर सरकार द्वारा इस महीने की शुरुआत में जारी उत्पादन के संबंध में जारी दूसरे अनुमान पर आधारित है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी में इस क्षेत्र का योगदान 18 फीसदी रह गया है पर विश्व के इस दूसरे सबसे बड़ी आबादी वाले देश में अभी भी 60 फीसदी लोगों जीवन यापन के लिए कृषि पर निर्भर करते हैं।
सीएसओ ने कहा कि वाणिज्यिक फसलों में चालू वित्त वर्ष के दौरान खरीफ सत्र में तिलहन का उत्पादन 21. 2 फीसदी घटा जबकि कपास और गन्ने का उत्पादन भी क्रमश: 14.4 फीसदी और 16.6 फीसदी गिरने का अनुमान है।
हालांकि फल सब्जी से जुड़ी फसलों में छह फीसदी पशुधन में 5.5 फीसदी और मत्स्यिकी में 6 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है। (BS Hindi)
28 फ़रवरी 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें