नई दिल्ली February 20, 2009
अतिरिक्त रिफाइनिंग क्षमता को देखते हुए पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के खयाल से सरकार इन्हें मार्केट लिंक्ड फोकस प्रोडक्ट स्कीम की श्रेणी में शामिल कर सकती है। इस स्कीम को पिछले वर्ष अप्रैल में लॉन्च किया गया था।
इसके तहत निर्यात से होने वाली आय के फ्री ऑन बोर्ड मूल्य के 2.5 प्रतिशत की सहायता निर्यातक को उपलब्ध कराई जाती है जिसका इस्तेमाल निर्यात की लागत के तौर पर किया जा सकता है।
हालांकि, ऐसे निर्यात कुछ खास उत्पादों के लिए किसी खास गंतव्य से संबध्द हैं। उदाहरण के लिए, हाल ही में जापान और ऑस्ट्रेलिया को किए जाने वाले वस्त्र निर्यात को इस योजना में शामिल किया गया है।
पेट्रोलियम मंत्रालय अभी इस योजना का मूल्यांकन कर रही है। पश्चिम एशियाई देशों की तुलना में भारतीय कंपनियों को माल ढुलाई पर होने वाली हानि को कम करने के खयाल से इस पर विचार किया जा रहा है।
पेट्रोलियम उत्पादों को इस योजना में शामिल करने के लिए भारतीय पेट्रोलियम महासंघ ने याचिका दी थी। भारतीय पेट्रोलियम महासंघ में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) एस्सार ऑयल और सरकारी तेल रिफाइनरी और विपणन कंपनियां शामिल हैं।
सूत्रों ने बताया कि यह महासंघ वाणिज्य और पेट्रेलियम मंत्रालय को इस योजना के तहत पेट्रोलियम उत्पदों को शामिल करने के लिए आवेदन कर चुका है। निजी क्षेत्र, जिसका नेतृत्व आरआईएल और एस्सार ऑयल करते हैं और पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में जिनकी हिस्सेदारी दो-तिहाई से अधिक है तथा और जो सबसे अधिक विदेशी मुद्राओं की उगाही करते हैं, ने साल 2007-08 के दौरान 393 लाख टन पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात किया था जिसकी कीमत 1,07,603 करोड रुपये थी।
उल्लेखनीय है कि पेट्रोलियम उत्पाद देश के लिए सबसे अधिक विदेशी मुद्रा अर्जित करते हैं। कुल निर्यात में इनकी हिस्सेदारी लगभग 15 फीसदी की है। वर्तमान में, अफ्रीका, यूरोप, अमेरिका, लैटिन अमेरिका, दक्षिण पूर्वी एशिया और पश्चिमी एशिया को भारत से पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात किया जाता है।
भारत की रिफाइनिंग क्षमता अपनी जरूरत से अधिक है। ग्यारहवीं योजना (2007-12) की समाप्ति तक रिफाइनिंग क्षमता वर्तमान 1,779.7 लाख टन प्रति वर्ष से बढ क़र 2,400 लाख टन प्रति वर्ष होने का अनुमान है। इस कदम से कंपनियों को अतिरिक्त उत्पादन का निर्यात करने में मदद मिलेगी।
जामनगर में रिलायंस की रिफाइनरी के चालू होने से देश की रिफाइनिंग क्षमता दिसंबर 2008 के 290 लाख टन प्रति वर्ष से बढ़ कर 1,779.7 लाख टन प्रति वर्ष हो गई है। कुल रिफाइनिंग क्षमता में सार्वजनिक क्षेत्र की हिस्सेदारी 1,055 लाख टन प्रति वर्ष और शेष 724.7 लाख टन प्रति वर्ष की हिस्सेदारी निजी क्षेत्र की है। (BS Hindi)
21 फ़रवरी 2009
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