कोच्चि February 25, 2009
पिछले कुछ सालों से मुल्क में ट्रक और बसों के टायर के आयात में बढ़ोतरी होने की वजह से ही देश में प्राकृतिक रबर की खपत में खासी कमी आई है।
प्राकृतिक रबर की खपत में 10 फीसदी की कमी आई है और यह कम होकर दिसंबर में 66,000 टन हो गया। जनवरी में रबरकी खपत में 5.7 फीसदी की कमी आई और यह 67,000 टन हो गया।
वर्ष 2008-09 के अप्रैल-जनवरी की अवधि के दौरान खपत में बढ़ोतरी केवल 1.8 फीसदी रही जबकि पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान में यह बढ़ोतरी 5 फीसदी थी। विशेषज्ञों के मुताबिक टायर के आयात में बढ़ोतरी होने की वजह से देश के टायर निर्माण सेक्टर में प्राकृतिक रबर की खपत उतनी ज्यादा नहीं हो रही है।
सालाना आधार पर वित्तीय वर्ष 2008-09 में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान बसों और ट्रकों के 14,016,96 टायरों का आयात होने की उम्मीद है। इन टायरों का औसत भार 84,102 टन होता है और इसमें से 35,042 टन प्राकृतिक रबर का हिस्सा होता है। वर्ष 2008-09 में मुल्क में 80,000 टन रबर का प्रत्यक्ष आयात किया गया।
देश से किए जाने वाले टायर निर्यात के मुकाबले आयातित टायर में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2008-09 की अप्रैल-अगस्त की अवधि के दौरान देश के कुल निर्यात वैल्यू का यह 71.45 फीसदी हो गया। इस अवधि के दौरान 916.54 करोड़ टायर का निर्यात किया गया जबकि 654.86 करोड़ के टायर की खपत घरेलू बाजार में हुई।
दूसरी ओर लगभग 90 फीसदी आयात चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के जरिए होता है। टायर आयात में बढ़ोतरी होने से देश के प्राकृतिक रबर उत्पादकों के साथ-साथ घरेलू टायर निर्माण क्षेत्र के लिए भी गंभीर खतरा पैदा हो गया है।
बाजार में नए टायरों की मांग में 70-80 फीसदी की कमी आई है इसकी वजह से इंडस्ट्री का रुख पुराने टायरों की ओर ही टिका है। लेकिन इस क्षेत्र में आयातित टायरों के बढ़ने से घरेलू टायर इंडस्ट्री के लिए खतरा पैदा हो गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक प्राकृतिक रबर का आयात टायर के आयात के साथ महज आधी शुल्क के जरिए ही हो जाता है।
प्राकृतिक रबरके आयात पर शुल्क 20 फीसदी है जबकि टायर के आयात पर शुल्क 10 फीसदी है। इसी वजह से 35,042 टन का आयात 10 फीसदी शुल्क पर ही हो जाता है।
मुमकिन है कि प्राकृतिक रबर की कीमतों में ज्यादा गिरावट हो क्योंकि इस रबर के उपभोक्ता अब इसकी बहुत कम मांग कर रहे हैं। उत्पादकों को यह आशंका है कि टायर की की ओट में प्राकृतिक रबर के आयात से दिक्कतें और बढ़ेंगी। (BS Hindi)
25 फ़रवरी 2009
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